सोशल संवाद/डेस्क : खराब जीवनशैली और खान-पान की गलत आदतों की वजह से आमतौर पर लोग थायराइड रोग के शिकार हो जाते हैं। थायराइड दरअसल, गले के पास तितली के आकार की एक ग्रंथि (ग्लैंड) होती है। यह ग्रंथि दिल, दिमाग और शरीर के दूसरे अंगों को सही तरीके से चलाने वाले हॉर्मोन पैदा करती है। आसान शब्दों में समझें तो यह ग्रंथि शरीर में एक तरह से बैटरी का काम करती है।
लेकिन समस्या तब होने लगती है जब यह हॉर्मोन शरीर में ज्यादा (हाइपोथायरायडिज्म) या फिर कम (हाइपरथायरायडिज्म) बनने लगता है। दोनों ही स्थितियों में पीड़ित व्यक्ति को सेहत से जुड़ी कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
डॉक्टरों की मानें तो 0 से 2 हप्ते के बच्चे में टीएसएच का स्तर 1.6-24.3 mU/L होना चाहिए। वहीं, 2 से 4 सप्ताह के बच्चे में टीएसएच का स्तर 0.58-5.57 mU/L और 20 सप्ताह से 18 साल के बच्चे में थायराइड का सामान्य स्तर 0.55-5.31 mU/L हो सकता है। ध्यान रखें, इससे ज्यादा या कम टीएसएच होने पर थायराइड की समस्या हो सकती है।
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