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सिर्फ हिन्दू ही नहीं मुस्लिम भी करते है इस अद्भुत शिवलिंग की पूजा, जाने अनोखी कहानी

By admin

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सोशल संवाद डेस्क : हिन्दू धर्म में भगवान के प्रति एक अलग ही आस्था है। यहाँ पर हर कोई अपने हिसाब से देवी देवताओ की पूजा करते है । और भारत एक ऐसा देश है जहां पर विविधता में एकता है, इसका अर्थ है अनकेता में एकता। हमारे देश में ऐसे बहुत हिंदू है जो रमजान में रोजे रखते हैं और कई ऐसे मुस्लमान भी जो शिवालय जाकर शिव की पूजा करते हैं। सुनकर हैरानी हुई न लेकिन उत्तरप्रदेश में एक ऐसा मंदिर है जहां मुस्लिम समुदाय के लोग भगवान शिव की आराध्य मानकर पूजा करते हैं। भगवान शिव का यह अद्भुत शिवलिंग उत्तरप्रदेश के सरया तिवारी गांव में स्थित है। इस शिवलिंग को झारखंडी व नीलकंठ महादेव भी कहा जाता है ।

प्रचलित किंवदंतियों के अनुसार मुस्लिमों द्वारा इस शिवलिंग की पूजा करने का कारण, इस शिवलिंग के ऊपर उर्दू भाषा में एक कलमा ‘’ है, जिसे इस्लाम का पवित्र वाक्य माना जाता है कहा जाता है कि इसी कलमे की वजह से इस मंदिर में खासतौर पर रमजान के पाक माह के दौरान मुस्लिम समाज के लोग इबादत के लिए जाते हैं।

लोक मान्यता ये हैं कि जिस समय महमूद गजनी  भारत पर आक्रमण करके भारत के मंदिरों को लूट रहा था तब  उसको इस मंदिर का पता चला। उसने यहां पहुंच कर मंदिर को तहस-नहस कर दिया और शिवलिंग को भी उखाड़ने का प्रयास किया परंतु उसकी पूरी सेना इस शिवलिंग को उखाड़ने में नाकाम साबित हुई। उसकी सेना जितनी गहराई में खुदाई करती, शिवलिंग उतना ही बढ़ता जाता था।

ऐसा कहा जाता है कि शिवलिंग को उखाड़ने में नाकाम साबित होने पर गजनवी ने इस शिवलिंग पर कलमा खुदवा दिया। ताकि  हिंदू समुदाय के लोग इस शिवलिंग की पूजा न कर सकें, लेकिन उसका ये दाव उल्टा पड़ गया। इसका नतीजा दोनों समुदाय को साथ ले आया। यही वजह है की हिन्दू – मुस्लिम दोनों ही इस मंदिर श्रद्धा से पूजा करते है ।एक तरफ हिन्दू पूजा करते है दूसरी तरफ मुस्लिम इबादत करते है ।

झारखंड़ी शिवलिंग की एक खासियत और भी है कि यहां भगवान शिव खुले आसमान के नीचे रहना पसंद करते है। शिव के इस मंदिर के बगल में एक पोखरा है। लोगों का कहना है कि इस पोखरे के जल में चर्म रोग ठीक करने की चमत्कारी शक्ति है। इसी धारणा के चलते चर्म रोग से पीड़ित लोग इस पोखरे के जल में अपने रोग से  मुक्ति पाने के लिए स्नान करने आते हैं।

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