January 22, 2025 7:08 pm

अब लगातार करेंगे, AAP के पाप का पर्दाफाश – अजय माकन

अब लगातार करेंगे, AAP के पाप का पर्दाफाश - अजय माकन

सोशल संवाद / नई दिल्ली : दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी कार्यालय राजीव भवन में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कांग्रेस कोषाध्यक्ष अजय माकन, सांसद ने आप के पाप की सीरीज की शुरुआत करते हुए स्वास्थ्य के क्षेत्र में हुए अरविन्द केजरीवाल की फर्जीवाल सरकार के भ्रष्टाचार का खुलासा किया। संवाददाता सम्मेलन को दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष श्री देवेन्द्र यादव ने भी संबोधित किया। केग रिपोर्ट से संबधित जानकारी संलग्न है।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष देवेन्द्र यादव ने केजरीवाल सरकार के स्वास्थ्य क्षेत्र की केग रिपोर्ट के उजागर होने पर इसकी जांच एजेंसियों से जांच कराने की मांग की। उपराज्यपाल हस्तक्षेप करके इसकी जांच के आदेश दें।

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संवाददाता सम्मेलन में अ0भा0क0कमेटी के सचिव प्रभारी सुखविंदर सिंह डैनी और दानिश अबरार, दिल्ली सरकार के पूर्व मंत्री डा0 नरेन्द्र नाथ, कांग्रेस प्रवक्ता श्री अभय दूबे, कम्युनिकेशन विभाग के डा0 अरुण अग्रवाल, ज्योति सिंह, रश्मि सिंह मिगलानी, आस्मा तस्लीम मौजूद थी।

अजय माकन ने कहा कि अरविन्द केजरीवाल दिल्ली के ऐसे मुख्यमंत्री थे जो भ्रष्टाचार के खिलाफ, भ्रष्टाचार मिटाने के नाम पर सरकार में आए परंतु अपने और अपनी सरकार के भ्रष्टाचार की 14 केग रिपोर्ट कभी विधानसभा पटल पर सार्वजनिक नही होने दी। आज हम 14 रिपोर्ट में से एक स्वास्थ्य के क्षेत्र में इनके भ्रष्टाचार का खुलासा दिल्ली की जनता के सामने कर रहे है। केग रिपोर्ट के अनुसार स्वास्थ्य के क्षेत्र में 382.52 करोड़ का घोटाला हुआ है, जबकि अरविन्द केजरीवाल यह बयान देते है कि हम समय से पहले और पैसे बचाकर काम पूरा करते है।

केजरीवाल ने 10 वर्षों में सिर्फ 3 अस्पताल बनाएं, जिनका काम की शुरुआत कांग्रेस शासन में हुई थी, कुल लागत में से 382.52 करोड़ रुपये की लाग बढ़ गई।

इंदिरा गांधी अस्पताल – पूरा होने में 5 साल की देरी हुई और 314.9 करोड़ अतिरिक्त खर्च

बुराड़ी अस्पताल पूरा होने में 6 साल की देरी हुई व 41.26 करोड़ अतिरिक्त रुपये खर्च

मौलाना आजाद डेंटल अस्पताल फेस-2 में 3 साल की देरी हुई और 26.36 करोड़ रुपये अतिरिक्त खर्च हुए।

केजरीवाल सरकार ने 15 प्लाट अधिग्रहित किए जिन पर अस्पताल और डिस्पेंसरियां बननी थी, मगर एक भी काम शुरु नही किया गया।

2016-2022 के बजट में इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट का 2623.35 करोड़ लेप्स हो गया।

कोविड महामारी में केन्द्र सरकार से मिले बजट का इस्तेमाल नही कर पाए। केन्द्र सरकार से 635.62 करोड़ बजट मिला, जिसका 56.74 प्रतिशत 360.64 करोड़ खर्च ही नही किया। जबकि कोविड महामारी में लोग दवाई, आक्सीजन, बेड की कमी से दम तोड़ रहे थे।

2016-17 से 2020-21 चार वर्षों के बजट में 32000 बेड बढ़ाने का लक्ष्य रखा लेकिन सिर्फ 3.86 प्रतिशत 1,235 बेड ही बढ़ा पाए।

दिल्ली के 9 सरकारी अस्पतालों में बेड ओक्यूपेंसी का औसत 101-189 प्रतिशत का है, मतलब एक बेड पर दो मरीज। 7 अस्पतालां में 109-160 प्रतिशत है।

चार अस्पताल- एलएनजेपी, चाचा नेहरु बाल चिकित्सालय, राजीव गांधी सुपर स्पेशिलिटी और जनकपुरी स्पेशिलिटी मुख्यत अस्ताल है, जिनमें केग टीम गई और जांच की।

एलएनजेपी में मेजर बर्न सर्जरी का एक ऑपरेशन थिएटर है जो काम नही कर रहा। यहां ऑपरेशन के लिए 12 महीने का वेटिंग है। 12 ईसीजी मशीनों में से 5 काम ही नही कर रही है। चाचा नेहरु बच्चों का अस्पताल है यहां भी बच्चों की सर्जरी के लिए 12 महीनों का वेटिंग है।

इन अस्पतालों में राजीव गांधी अस्पताल और जनकपुरी अस्पताल में 50-74 प्रतिशत डॉक्टरों की की कमी है, 73-96 प्रतिशत नर्सों की कमी, 17-62 प्रतिशत पैरामेडिकल स्टाफ की कमी है।

चाचा नेहरू अस्पताल में एक्सरे की प्रतिदिन क्षमता 330 है जिसमें 109 हो रहे है, अल्ट्रासाउंड 35 है 9 हो रहे है, सीटी स्केन 12 – 3 हो रहे।

राजीव गांधी अस्पताल में एक्सरे की प्रतिदिन क्षमता 70 जिसमें 35 हो रहे है, अल्ट्रासाउंड 50 है 23 हो रहे है, सीटी स्कैन 26 – 14 हो रहे।

जनकपुरी अस्पताल में एक्सरे की प्रतिदिन क्षमता 57 जिसमें 27 हो रहे है, अल्ट्रासाउंड 30 है 1 हो रहा है।

27 अस्पतालों में से आईसीयू 14 में नही है, ब्लड बैंक 16 में नही है, आक्सीजन सुविधा 8 में नही, मोर्चुरी 15 में नही है और एम्बुलेंस सर्विस 12 अस्पतालों में नही है।

केट एम्बूलेंस में सुविधाओं का अभाव है – सिर्फ शव वाहन बन कर रहे गई है। केग द्वारा 4 अस्पतालों में जांच के बाद पता चला कि सिर्फ एलएनजेपी के पास 2 एम्बुलेंस है।

दिल्ली के अस्पतालों में 21 प्रतिशत नर्सों की कमी है, कुछ अस्पतालों में कमी 34 प्रतिशत है।

30 प्रतिशत कमी पॅरामेडिकल स्टॉफ की है। स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की 30 प्रतिशत कमी है, और नॉन स्पेशलिस्ट डाक्टरों की 28 प्रतिशत की कमी है और मेडिकल अधिकारियों की 9 प्रतिशत की कमी है। उपरोक्त सभी कमियां केग द्वारा अपनी रिपोर्ट में बताई है।

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