सोशल संवाद/डेस्क: देश में तेजी से बढ़ती Online Gaming इंडस्ट्री पर अब केंद्र सरकार ने सख्त रुख अपना लिया है। हाल ही में सरकार ने पैसे पर आधारित ऑनलाइन गेमिंग के खिलाफ कानून बनाया था, और अब उसी कड़ी में इसे और कड़ा करने के लिए नए मसौदा नियम जारी किए गए हैं।
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सरकार ने साफ कर दिया है कि अगर कोई व्यक्ति या कंपनी इन नियमों का उल्लंघन करती पाई गई, तो उसे गैर-जमानती अपराध के तहत गिरफ्तार किया जा सकता है। इतना ही नहीं अगर किसी कंपनी द्वारा उल्लंघन किया गया, तो उस कंपनी के सभी कर्मचारी और अधिकारी भी जिम्मेदार ठहराए जाएंगे।
बिना वारंट गिरफ्तारी का प्रावधान
पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, मसौदा नियमों में यह प्रस्ताव शामिल किया गया है कि अधिकृत अधिकारी किसी भी स्थान चाहे वह भौतिक हो या डिजिटल पर प्रवेश कर सकते हैं, और बिना वारंट के गिरफ्तारी भी कर सकते हैं, अगर किसी व्यक्ति पर ऑनलाइन गेमिंग (PROG) अधिनियम 2025 के तहत अपराध का संदेह है।
धारा 5 और 7 में सख्त प्रावधान
नए नियमों में कहा गया है कि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 में जो भी प्रावधान हों, उसके बावजूद PROG अधिनियम की धारा 5 और धारा 7 के तहत किए गए अपराध संज्ञेय और गैर-जमानती होंगे।
- धारा 5: किसी भी संस्था को ऑनलाइन मनी गेम या मनी गेमिंग सेवाएं प्रदान करने, बढ़ावा देने या मदद करने से रोकती है।
- धारा 7: बैंकों, वित्तीय संस्थानों या अन्य किसी व्यक्ति को ऑनलाइन मनी गेमिंग से जुड़े वित्तीय लेनदेन करने से रोकती है।
अधिनियम को राष्ट्रपति की मंजूरी
यह मसौदा नियम PROG अधिनियम की धारा 19 के तहत बनाए गए हैं, जिसे राष्ट्रपति की मंजूरी पहले ही मिल चुकी है। 22 अगस्त को इसे अधिसूचित किया गया था। इस कानून का उद्देश्य देश में ऑनलाइन मनी गेम्स और उनके प्रमोशन को पूरी तरह से प्रतिबंधित करना है। नियमों के तहत जांच अधिकारी को भी सुरक्षा प्रदान की जाएगी, ताकि वे किसी भी डिवाइस, स्थान या डिजिटल स्पेस की जांच कर सकें, बिना किसी कानूनी डर के।
31 अक्टूबर तक मांगे गए सुझाव
इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय ने इन मसौदा नियमों पर 31 अक्टूबर 2025 तक जनता और हितधारकों से सुझाव और प्रतिक्रियाएं मांगी हैं। इसके बाद सरकार इन नियमों को अंतिम रूप देगी और पूरे देश में लागू करेगी।
Online Gaming पर सुप्रीम कोर्ट में होगी सभी याचिकाओं की सुनवाई
इसी बीच, केंद्र सरकार ने Promotions and Regulation of Online Gaming Act 2025 को लेकर दायर याचिकाओं की एक साथ सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।
केंद्र की इस मांग को मानते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 8 सितंबर 2025 को आदेश दिया कि इस कानून को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं की सुनवाई अब देशभर के अलग-अलग हाईकोर्ट की बजाय केवल सुप्रीम कोर्ट में ही होगी।
ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री पर प्रभाव
विशेषज्ञों का कहना है कि यह कदम भारत की ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री के लिए एक बड़ा झटका हो सकता है। अब तक इस क्षेत्र में हजारों स्टार्टअप्स और कंपनियां सक्रिय हैं, जिनमें करोड़ों युवाओं की भागीदारी है। सरकार का यह सख्त कदम मनी गेम्स और बेटिंग ऐप्स को रोकने के लिए तो जरूरी है, लेकिन इससे ई-स्पोर्ट्स और स्किल गेमिंग सेक्टर को भी प्रभावित होने का खतरा है।








