सोशल संवाद/ डेस्क: भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने अपने इस्तीफे की वजह स्वास्थ्य संबंधी कारण बताया है। लेकिन उनके इस फैसले ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। विपक्षी नेताओं ने इसे अप्रत्याशित और रहस्यमयी करार देते हुए केंद्र सरकार पर सवाल खड़े करने शुरू कर दिए हैं। धनखड़ के इस्तीफे के पीछे की असली वजह को लेकर अटकलें तेज हो गई हैं।
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कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने कहा यह चौंकाने वाला है। मैं उनसे आग्रह करूंगा कि वे इस पर पुनः विचार करें। वह संसदीय ज्ञान के भंडार थे और किसानों की आवाज़ उठाने वाले नेता थे। यह संसदीय इतिहास का काला दिन है कि एक उपराष्ट्रपति अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पा रहे हैं।
कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी का कहना है कि मैं उपराष्ट्रपति जी के अच्छे स्वास्थ्य की कामना करता हूं, लेकिन यह इस्तीफा एक बड़ा रहस्य है। उन्होंने यह निर्णय क्यों लिया, इसका विवरण अगर वो स्वयं दें तो बेहतर होगा. देश के 140 करोड़ लोग जानना चाहते हैं कि इसके पीछे की सच्चाई क्या है।
कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उपराष्ट्रपति का इस्तीफा अचानक और दुर्भाग्यपूर्ण है. वे हाल ही में बैठक में शामिल हो रहे थे और आज भी उनके कार्यक्रम निर्धारित थे. कहीं न कहीं यह संकेत देता है कि केंद्र सरकार और उपराष्ट्रपति के बीच संबंध पहले जैसे नहीं रह गए थे। हम उनके अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते हैं।
राजद नेता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि स्वास्थ्य कारणों की बात तो उन्होंने कही है, लेकिन प्रतीत होता है कि उन्होंने दबाव में आकर इस्तीफा दिया है। संसद में उनके विशेषाधिकार को बार-बार चुनौती दी जा रही थी, जिससे वे आहत रहे होंगे। स्वास्थ्य का हवाला एक बहाना है, असलियत शायद यह है कि वह सरकार से असहमति के कारण मानसिक रूप से परेशान थे।
कांग्रेस सांसद सैयद नसीर हुसैन ने कहा कि ये हमारे लिए चौंकाने वाला है, क्योंकि कल शाम तक वह संसद में पूरी तरह शामिल थे. अचानक कौन-सी बात हो गई. यहां पर कोई सुरक्षित नहीं है।
2022 में धनखड़ ने ली थी उपराष्ट्रपति पद की शपथ
गौरतलब है कि जगदीप धनखड़ ने अगस्त 2022 में उपराष्ट्रपति पद की शपथ ली थी और वह राज्यसभा के सभापति के रूप में भी सक्रिय भूमिका निभा रहे थे. उन्होंने हाल के दिनों में कई महत्वपूर्ण संसदीय फैसलों और विमर्शों में भाग लिया था. उनका अचानक दिया गया इस्तीफा न सिर्फ सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच रिश्तों को फिर से केंद्र में ले आया है, बल्कि यह भी सवाल खड़े कर रहा है कि क्या यह सिर्फ स्वास्थ्य का मामला है या इसके पीछे कोई गहरी राजनीतिक असहमति या संस्थागत टकराव छिपा हुआ है.








