सोशल संवाद/डेस्क: दिल्ली हाईकोर्ट ने Patanjali आयुर्वेद के स्पेशल च्यवनप्राश एड को 72 घंटे के भीतर बंद करने का आदेश दिया है। इस एड में पतंजलि ने दूसरे ब्रांड्स को ‘धोखा’ कहा था।डाबर इंडिया की शिकायत पर जस्टिस तेजस करिया की बेंच ने 6 नवंबर को ये अंतरिम आदेश पास किया था, जिसे आज पढ़ा गया।
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कोर्ट ने कहा कि आप तुलना करने वाला विज्ञापन चला सकते हैं, लेकिन दूसरों को नीचा दिखाने वाला या गलत और भ्रामक स्टेटमेंट्स नहीं चलेंगे। ये रोक फरवरी 2026 तक लागू रहेगी। अब पतंजलि अपने इस एड को टीवी, सोशल मीडिया और प्रिंट मीडिया कहीं भी नहीं दिखा सकता।
कोर्ट ने क्या फैसला दिया?
एक आम आदमी की नजर से देखें तो ये एड इम्प्रेशन क्रिएट करता है कि दूसरे प्रोडक्ट्स धोखा हैं। पतंजलि को 72 घंटों में एड को सभी प्लेटफॉर्म्स से हटाना या ब्लॉक करना होगा। नेशनल टीवी चैनल्स, स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म्स, डिजिटल, प्रिंट मीडिया और सोशल मीडिया अकाउंट्स जैसे यूट्यूब, इंस्टाग्राम पर रोक। कोई नया एड नहीं चला सकता जो च्यवनप्राश को ‘धोका’ कहे या उसके मेडिकल वैल्यू पर सवाल उठाए।
क्या है ये विवाद?
डाबर और पतंजलि के बीच च्यवनप्राश मार्केट में काफी समय से टेंशन चल रही है। डाबर करीब 60% हिस्सेदारी के साथ इस सेगमेंट में मार्केट लीडर है, जबकि पतंजलि ने हाल ही में अपना स्पेशल च्यवनप्राश लॉन्च किया। डाबर का कहना है कि पतंजलि का एडवर्टाइजमेंट न सिर्फ उनके प्रोडक्ट को बुरा दिखाता है, बल्कि पूरे च्यवनप्राश कैटेगरी को ‘धोका’ कहकर उनकी विश्वसनीयता पर सवाल खड़े करता है। ये केस कॉमर्शियल डिस्पैरेजमेंट का है, जहां एक कंपनी दूसरे को नीचा दिखाने की कोशिश करती है।
आगे क्या होगा?
अगली सुनवाई 26 फरवरी 2026 को होगी। तब मेरिट्स पर आर्ग्यूमेंट्स होंगे और परमानेंट रिलीफ मिल सकता है। ये केस इंडस्ट्री के लिए बेंचमार्क सेट कर सकता है, जहां ब्रांड्स एक-दूसरे को टारगेट करते हैं। डाबर को राहत मिली है, लेकिन पतंजलि अपील कर सकता है। मार्केट में च्यवनप्राश सेल्स पर असर पड़ेगा, क्योंकि कंज्यूमर्स अब एड्स पर ज्यादा सतर्क होंगे।








