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Paush Month 2025: सूर्य पूजा, तप-दान का विशेष समय, जानें क्यों इस महीने मांगलिक कार्य होते हैं वर्जित

By Aditi Pandey

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Paush Month 2025 A special time for Surya Puja

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सोशल संवाद/डेस्क: हिंदू पंचांग के अनुसार साल का दसवां महीना पौष (Paush Month) कहलाता है, जिसे आम बोलचाल में पूस का महीना भी कहा जाता है। यह समय पूरे वर्ष की सबसे अधिक ठंड लेकर आता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यही कारण है कि पौष को तपस्या, साधना और आत्मिक शक्ति को बढ़ाने वाला महीना माना गया है। धर्मग्रंथों में इस माह को भगवान सूर्य की उपासना, ध्यान, योग और दान-पुण्य के लिए अत्यंत शुभ बताया गया है।

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पौष माह में खरमास भी लगता है। इस कारण विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन जैसे मांगलिक कार्यों पर रोक रहती है। हालांकि पूजा-पाठ, जप, व्रत और दान को इस दौरान विशेष फलदायी माना जाता है। धार्मिक विश्वास है कि पौष में की गई साधना सामान्य दिनों की तुलना में कई गुना अधिक पुण्य प्रदान करती है।

सूर्य देव की विशेष आराधना का महीना

पौष माह को मूल रूप से सूर्य देव को समर्पित माना गया है। सर्दियों के मौसम में सूर्य की किरणों को स्वास्थ्य और जीवन शक्ति बढ़ाने वाली माना जाता है। इसी कारण प्रतिदिन सूर्य को जल अर्पित करने की परंपरा है। शास्त्रों के अनुसार, रविवार के दिन सूर्य को अर्घ्य देने से घर में सुख-शांति बनी रहती है। तिल, चावल और खिचड़ी का भोग सूर्य देव को अत्यंत प्रिय माना जाता है। साथ ही सूर्य मंत्रों का जप जीवन में ऊर्जा, सम्मान और सफलता बढ़ाता है।

इस अवधि में मांस, मदिरा, बैंगन, मूली और उड़द-मसूर की दाल से परहेज करने की भी परंपरा है। ऐसा माना जाता है कि ये वस्तुएं शरीर में आलस्य बढ़ाती हैं और साधना में बाधा डालती हैं।

तप, योग और आत्मशुद्धि का श्रेष्ठ काल

धार्मिक मान्यता है कि पौष की ठंड तपस्या को और अधिक प्रभावी बना देती है। इस माह में ध्यान, योग, उपवास, जप और मौन साधना विशेष रूप से शुभ माने जाते हैं। यह समय आत्मशुद्धि और आध्यात्मिक उन्नति के लिए श्रेष्ठ माना गया है।

पितरों के तर्पण का पुण्य समय

पौष माह को पितरों के स्मरण के लिए भी अत्यंत शुभ माना गया है। इस महीने की अमावस्या पर पितृ तर्पण, जलदान और दीपदान करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है और परिवार से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।

क्यों वर्जित रहते हैं विवाह और अन्य मांगलिक कार्य?

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, पौष में लगने वाले खरमास को देवताओं का विश्राम काल कहा गया है। इसी वजह से इस दौरान विवाह, गृह प्रवेश और अन्य बड़े मांगलिक कार्य नहीं किए जाते, लेकिन पूजा-पाठ और धार्मिक अनुष्ठान पूरी तरह शुभ माने जाते हैं।

दान का विशेष महत्व

पौष महीने में दान-पुण्य का विशेष फल मिलता है। इस समय गर्म कपड़े, कंबल, तिल, गुड़ और अनाज का दान करने से न केवल जरूरतमंदों को राहत मिलती है, बल्कि दान करने वाले के जीवन में भी पुण्य और सकारात्मकता बढ़ती है।

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