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न्याय की मांग को लेकर जंतर मंतर पर बैठने को मजबूर खिलाड़ी -डॉ. सुशील गुप्ता

By admin

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सोशल संवाद/ दिल्ली : ओलंपिक, एषियाड व अंतराष्टृीय स्तर पर पदक जीतने

वाले खिलाडी एक बार फिर से न्याय की मांग को लेकर जंतर मंतर पर बैठने को

मजबूर हुए। ऐसे में अगर उनको न्याय नहीं मिला तो वह खिलाडियों के साथ

मिलकर सरकार के खिलाफ सडको पर उतरने के लिए मजबूर होंगे। यह बात आज यहां

जंतर मंतर पर धरने पर बैठे पहलवानों के समर्थन मंे पहुंचे आम आदमी पार्टी

के सांसद डा सुषील गुप्ता ने कहा हैं ।

डा गुप्ता ने कहा कि जंतर मंतर पर न्याय की मांग को लेकर एक बार फिर धरने

पर बैठे कुश्ती खिलाड़ियों को आम आदमी पार्टी ने समर्थन दिया है। उन्होंने

देश और प्रदेश के कुश्ती खिलाड़ियों की मांगों का समर्थन करते हुए कहा कि

दिल्ली पुलिस को तुरंत प्रभाव से फेडरेशन अध्यक्ष ब्रजभूषण शरण सिंह के

खिलाफ एफआईआर दर्ज करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि ये खिलाड़ियों का

दुर्भाग्य है कि इन्हें एक एफआईआर दर्ज करवाने और न्याय की मांग के लिए

सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ रहा है।

उन्होंने कहा कि देश और प्रदेश के जाने माने खिलाड़ियों ने फेडरेशन के पूर्व अध्यक्ष ब्रजभूषण शरण सिंह

के खिलाफ यौन शौषण के गंभीर आरोप लगाए थे। इसको लेकर तीन महीने पहले भी

कुश्ती खिलाड़ी जंतर मंतर पर बैठे थे। तब खेल मंत्रालय ने दबाव में आकर

जांच कमेटी तो गठित कर दी थी। मगर तीन महीने बाद भी जांच कमेटी की कोई

रिपोर्ट भी सार्वजनिक नहीं की गई। उन्होंने कहा कि सभी खिलाड़ी पूर्व

फेडरेशन अध्यक्ष ब्रजभूषण शरण सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग कर

रहे हैं। खिलाड़ियों का दोबारा जंतर मंतर पर आकर धरना देना इस बात का सबूत

है कि प्रभावशाली व्यक्तियों के खिलाफ बीजेपी सरकार गंभीर से गंभीर आरोप

होने के बावजूद भी कोई कार्रवाई नहीं करती है। जबकि देश के प्रधानमंत्री

बेटी बचाने और बेटी पढ़ने का नारा देते है।

उन्होंने कहा कि खिलाड़ी देश के लिए मेडल लाने का काम करते हैं,  ये देश

का नाम विश्व में रोशन करते हैं। इनका न्याय की मांग को लेकर जंतर मंतर

पर बैठना दिखाता है कि बीजेपी सरकार महिला विरोधी के साथ न्याय विरोधी भी

है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश भी हैं कि यौन शौषण जैसे गंभीर आरोपों में

बयान के आधार पर ही एफआईआर होती है। लेकिन, फिर भी पूर्व फेडरेशन अध्यक्ष

ब्रजभूषण शरण सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं की जा रही है। दिल्ली पुलिस

भी मोदी सरकार के दबाव में है।

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