सोशल संवाद / डेस्क : दिल्ली एनसीआर में मंगलवार की सुबह वायु गुणवता सुचांक (एक्युआइ )498 तक पहुँच गया |देश की राजधानी दिल्ली में वायु प्रदुषण के वजह से लोगों के आँखों में जलन ,साँस लेने में कठिनाई,खांसी और अन्य स्वस्थ्य समस्यओं का सामना करना पर रहा है | वायु प्रदुषण को लेकर हालात बहुत चिंताजनक हो गये है, लोग अब मास्क पहनकर घर से बाहर निकल रहे है, ताकि प्रदुषण से बच सके |
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विशेषज्ञों का मानना है की , AQI का 500 के करीब होना बताता है की वायु में विषैले कणों की मजुदगी ज्यादा है |यह मात्रा इतनी अधिक हो गयी है कि यह स्वास्थ्य के लिए गंभीर रूप से हानिकारक है, विशेषकर उनलोगों के लिए जिनकी उम्र कम या ज्यादा है और जिनको साँस की बीमारी है है| प्रदुषण के कारण लोगों के आँखों में जलन और खांसी जैसी हो रही है|
स्थानीय निवासियों का कहना है की बढ़ते वायु प्रदुषण के कारण काफी परेशानियों का सामना करना पर रहा है, सरकार को इस पर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए |बता दे की बढ़ते वायु प्रदुषण को मद्धेनजर केंद्रीय प्रदुषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और पर्यावरण मंत्रालय द्वारा गठित वायु गुणवता प्रबंधन आयोग(सीएक्यूएम)ने दिल्ली में ग्रेडेड रिस्पांसएक्शन प्लान (ग्रैप) के चौथे चरण (ग्रैप4 )लागु कर दिया गया है |
ग्रैप 4 लागु होने के बाद वायु गुणवता के स्तर को नियंत्रित करने के लिए सरकार द्वारा कई कड़ी उपाय लागु किये गये है ताकि प्रदुषण को नियंत्रित किया जा सके | जब प्रदुषण का औसत एक्युआई स्तर 450 को पार पहुँच जाता है तब ग्रैप का चौथा चरण लागु होता है | ग्रैप4 लागु होने से प्रतिबन्ध सबसे ज्यादा और सबसे कड़े हो जाते है| ग्रैप 4 लागु होने पर राजधानी में ट्रक .लोडर और अन्य भरी वाहनों दिल्ली में प्रवेश की इजाजत नही होती है |आवश्यक सामग्री की आपूर्ति करने वाले वाहनों की अवा जाही पर कोई प्रतिबन्ध नही होती , सभी तरह के तोड़ फोड़ और निर्माण पर प्रतिबंध होता है| बढ़ते प्रदुषण को देखते हुए दिल्ली में दसवी,ग्यारहवी और बारहवी को छोड़कर बाकी कक्षाओं के विधार्थियो के लिए विद्यालय भी बंद कर दिए गये है और मास्क पहनना अनिवार्य कर दिया गया है |
रास्ट्रीय राजधानी दिल्ली, हरियाणा और उतरप्रदेश राज्यों के साथ सीमा साझा करती है| दिल्ली में वायु प्रदुषण के बढ़ते स्तर का मुख्य कारण इन राज्यों में किसानो द्वारा पराली जलाना है|पंजाब, हरियाणा और उतरप्रदेश किसान धन की पराली जलाते है| शहर में पुराने वाहन हानिकारक गैसे छोड़ते है,और निर्माण कार्यो से धुल पैदा होती है खासकर शुष्क परिस्तिथियों में ,ये भी एक कारण है वायु प्रदुषण का |
सेंटर फॉर रिसर्च एनर्जी एंड क्लीन एयर(CREA) के शोध से पता चलता है कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में थर्मल पॉवर प्लांट पराली जलाने से 16 गुना ज्यादा वायु प्रदूषक छोड़ते है | अध्ययन में कहा गया की ये प्लांट 8.9 मिलियन टन धान की पराली जलाने से उत्त्पन 17.8 किलोटन प्रदूषक से 16 गुना ज्यादा वायु प्रदूषक छोड़ते है |
भारत वैश्विक स्तर पर सल्फ़र डाई ओक्साइड का सबसे बड़ा उत्सर्जक बना हुआ है ,जो दुनिया भर में मानव जनित उत्सर्जन का 20 प्रतिशत से अधिक है| इसका मुख्य कारण उर्जा के लिए कोयले पर देश की निर्भरता है| 2023 में बिजली उत्त्पादन से भारत का सल्फर डाई ऑक्साइड उत्सर्जन 6,807किलोटन तक पहुँच गया, जो तुर्की( 2,206किलोटन) और इंडोनेशिया से (2,017 किलोटन) से कही अधिक है |
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