सोशल संवाद / डेस्क : रामायण सिर्फ एक कहानी नहीं है ।बल्कि ये हिंदू धार्मिक सिद्धांत का एक अनिवार्य हिस्सा है। हिंदू धर्म में रामायण सबसे लोकप्रिय और महत्वपूर्ण महाकाव्यों में से एक है। जगत कल्याण के लिए त्रेता युग में भगवान विष्णु, राम और मां लक्ष्मी, सीता के रूप में धरती पर अवतरित हुई थीं। पवित्र रामायण में भगवान राम के जीवन की पूरी गाथा का मार्मिक वर्णन है। रामायण का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। रामायण में सात अध्याय हैं। इन अध्याय को काण्ड के नाम से भी जाना जाता है। इन अध्यायों में भगवान राम के जीवन के हर पहलू को विस्तार से बताया गया है। कुछ लोग रामायण को इतिहास मानते है और कुछ काल्पनिक कहानी । पर कुछ बातों को नज्ज़रंदाज़ बिलकुल नहीं किया जा सकता और उनमे से कुछ है वो स्थान जिनका उल्लेख रामायण में है । आज भी रामायण कालीन ऐसे कई स्थान हैं, जहां श्रीराम ने अपने दिन गुजारे थे।आइये उनमे से 10 स्थानों के बारे में आपको बताते है ।
1.अयोध्या
भगवान राम का जन्म अयोध्या में हुआ था। रामायण काल में अयोध्या कौशल साम्राज्य की राजधानी थी, श्रीराम का जन्म रामकोट, अयोध्या के दक्षिण भाग में हुआ था। वर्तमान समय में अयोध्या, उत्तर प्रदेश में है। जो आज प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में से एक है। यहां आज भी उनके जन्म काल के कई प्रमाण मिलते हैं। यहां अब राम मंदिर भी बन रहा है । यहां हजारों भक्त हर रोज भगवान के दर्शन करने आते हैं।
2.प्रयाग
प्रयाग, वह जगह है जहां राम, लक्ष्मण और सीता ने 14 साल के वनवास के लिए अपने राज्य जाते हुए पहली बार विश्राम किया था। वर्तमान समय में यह स्थान प्रयागराज के नाम से जाना जाता है और यह उत्तर प्रदेश का हिस्सा है। इस स्थान का जिक्र पवित्र पुराणों, रामायण और महाभारत में किया गया है। यही कुम्भ मेला भी लगता है।
3.जनकपुर
जनकपुर, माता सीता का जन्म स्थान है और यहीं पर भगवान राम और माता सीता का विवाह हुआ था। जनकपुर शहर में आज भी उस विवाह मंडप और विवाह स्थल के दर्शन कर सकते हैं, जहां माता सीता और रामजी का विवाह हुआ था। जनकपुर के आस-पास के गांवों के लोग विवाह के अवसर पर यहां से सिंदूर लेकर आते हैं, जिनसे दुल्हन की मांग भरी जाती है। मान्यता है कि इससे सुहाग की उम्र लंबी होती है। वर्तमान में यह भारत नेपाल बॉर्डर से करीब 20 किलोमीटर आगे नेपाल के काठमाण्डुह के दक्षिण पूर्व में है।
4 चित्रकूट
रामायण के अनुसार, भगवान राम ने अपने चौदह साल के वनवास में लगभग 11 साल चित्रकूट में ही बिताए थे। ये वही स्थान है जहां वन के निकल चुके श्री राम से मिलने भरत जी आये थे। तब उन्होंने राम को राजा दशरथ के देहांत की सूचना दी थी और उनसे घर लौटने का अनुरोध किया था। भरत ने यही से श्री राम की चरण पादुका लेकर राज सिहांसन पर रखकर राज करते है ।चित्रकूट में आज भी भगवान राम और सीता के कई पद चिन्ह मौजूद हैं। वर्तमान में यह जगह मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश के बीच में स्थित है। यहां आज के समय में भगवान राम के कई मंदिर हैं।
5.दंडकारण्य
चित्रकूट से निकलकर श्रीराम घने वन में पहुंच गए। असल में यहीं था उनका वनवास। इस वन को उस काल में दंडकारण्य कहा जाता था। मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र के कुछ क्षेत्रों को मिलाकर दंडकाराण्य था। यहीं पर भगवान राम ने रावण की बहन शूर्पनखा के प्रेम प्रस्तााव को ठुकराया था और लक्ष्म्ण ने उसके नाक कान काटे थे। इस घटना के बाद ही राम और रावण युद्ध की नींव पड़ी थी। आपको बता दे दंडकारण्य में छत्तीसगढ़, ओडिशा एवं आंध्रप्रदेश राज्यों के अधिकतर हिस्से शामिल हैं। उड़ीसा की महानदी के इस पास से गोदावरी तक दंडकारण्य का क्षेत्र फैला हुआ था। इसी दंडकारण्य का हिस्सा है आंध्रप्रदेश का एक शहर भद्राचलम। गोदावरी नदी के तट पर बसा यह शहर सीता-रामचंद्र मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। यह मंदिर भद्रगिरि पर्वत पर है। श्रीराम ने अपने वनवास के दौरान कुछ दिन इस पर्वत पर बिताए थे। स्थानीय मान्यता के के अनुसार दंडकारण्य के आकाश में ही रावण और जटायु का युद्ध हुआ था और जटायु के कुछ अंग दंडकारण्य में आ गिरे थे। दुनियाभर में सिर्फ यहीं पर जटायु का एकमात्र मंदिर है।इस क्षेत्र में आज भी राम के निवास के चिन्ह मिलते हैं और यहां पर आ कर असीम शांति और ईश्वर की उपस्थिति का अहसास होता है।
6.पंचवटी
दण्डकारण्य में मुनियों के आश्रमों में रहने के बाद श्रीराम अगस्त्य मुनि के आश्रम गए। यह आश्रम नासिक के पंचवटी क्षेत्र में है, जो गोदावरी नदी के किनारे बसा है। यहीं पर लक्ष्मण ने शूर्पणखा की नाक काटी थी। और राम-लक्ष्मण ने खर और दूषण के साथ युद्ध किया था। गिद्धराज जटायु से श्रीराम की मैत्री भी यहीं हुई थी। वाल्मीकि रामायण, अरण्यकांड में पंचवटी का मनोहर वर्णन मिलता है।
7.पर्णशाला
पर्णशाला आंध्रप्रदेश में खम्माम जिले के भद्राचलम में स्थित है। रामालय से लगभग 1 घंटे की दूरी पर स्थित पर्णशाला को ‘पनशाला’ या ‘पनसाला’ भी कहते हैं। पर्णशाला गोदावरी नदी के तट पर स्थित है। मान्यता है कि यही वह स्थान है, जहां से सीताजी का हरण हुआ था। हालांकि कुछ मानते हैं कि इस स्थान पर रावण ने अपना विमान उतारा था। इस स्थल से ही रावण ने सीता को पुष्पक विमान में बिठाया था यानी सीताजी ने धरती यहां छोड़ी थी। यहां पर राम-सीता का प्राचीन मंदिर है।
8.किष्किंधा
किष्किंधा वानरराज बाली तथा उसके पश्चात् सुग्रीव की राजधानी थी। रामायण में सुग्रीव बाली के छोटे भाई थे।भगवान रामचन्द्र जी ने बालि को मारकर सुग्रीव का अभिषेक लक्ष्मण द्वारा इसी नगरी में करवाया था। किशकिंदा से एक मील पश्चिम में पंपासर नामक ताल है, जिसके तट पर राम और लक्ष्मण कुछ समय के लिए ठहरे थे। यह कर्नाटक में हंपी के निकट तुंगभद्रा के निकट स्थित पाया गया है। रिषिमुख नदी के पास स्थित पर्वत जहां सुग्रीव हनुमान के साथ रहते थे उसे भी आज उसी नाम से जाना जाता है। युनेस्को ने इस जगह को विश्व धरोहर में शामिल किया गया है।
9.रामेश्वरम
रामेश्वरम वह जगह है जहां से हनुमानजी की सेना ने लंकापति रावण तक पहुंचने के लिए राम सेतु का निर्माण किया गया। इसके अलावा, सीता को लंका से वापसी के लिए भगवान राम ने इसी जगह शिव की अराधना की थी। यहां एक मंदिर है जिसे लक्ष्मण तीर्थ और राम तीर्थ कहा जाता है। कहा जाता है कि यहां दो टैंक हैं जहां भगवान श्रीराम नहाए थे। एक अन्य कोडी तीर्थ है जहां पर कहा जाता है कि भगवान राम ने समंदर में रास्ता बनाने के लिए अपना तीर चलाया था। वर्तमान समय में रामेश्वरम दक्षिण भारत तमिलनाडु में है। रामेश्वर आज देश में एक प्रमुख तीर्थयात्री केंद्र है। यही से राम सेतु भी दिखाई पड़ता है ।इस सेतु को भारत में रामसेतु व दुनिया में एडम्स ब्रिज (आदम का पुल) के नाम से जाना जाता है। इस पुल की लंबाई लगभग 30 मील (48 किमी) है। यह ढांचा मन्नार की खाड़ी और पॉक स्ट्रेट को एक दूसरे से अलग करता है।
10 अशोक वाटिका
अशोक वाटिका राक्षस राजा रावण के राज्य लंका में एक उद्यान था। यह वह स्थान था, जहां सीता के अपहरण के बाद उन्हें बंदी बनाकर रखा गया था। ऐसा अनुमान लगाया जाता है कि उन्होंने रावण के महल में रहने से इनकार कर दिया था और अशोक वृक्ष के नीचे रहना पसंद किया था, इसलिए इसका नाम अशोक वाटिका पड़ा।
इसका वर्तमान स्थान हाकगाला बॉटनिकल गार्डन माना जाता है, जो श्रीलंका के रिसॉर्ट शहर नुवारा एलिया के करीब है। श्रीलंका में नुआरा एलिया पहाड़ियों के आसपास स्थित रावण फॉल, रावण गुफाएं, अशोक वाटिका, खंडहर हो चुके विभीषण के महल आदि की पुरातात्विक जांच से इनके रामायण काल के होने की पुष्टि होती है। आजकल भी इन स्थानों की भौगोलिक विशेषताएं, जीव, वनस्पति तथा स्मारक आदि बिलकुल वैसे ही हैं जैसे कि रामायण में वर्णित किए गए है।