सोशल संवाद/डेस्क : उच्च न्यायालय ने जमशेदपुर अघिसूचित क्षेत्र समिति के सशरीर उपस्थित उपनगर आयुक्त से पूछा कि इतने बड़े पैमाने पर विचलन पर आपका विभाग क्यों सो रहा है? उपनगर आयुक्त ने जब यह कहा कि हुज़ूर ४६ भवनों को चिन्हित किया गया है और उसमें ३१ के बेसमेंट पार्किंग को ख़ाली करा दिया गया है और बचे हुए १५ को ख़ाली कराने की प्रकिया जल्द पूरी हो जाएगी तब माननीय अदालत ने उपनगर आयुक्त से पूछा कि आप यह बताने की कोशिश कर रहे हैं कि वर्ष २०११ में बनी सूची ही अंतिम सूची है बस इतने ही विचलन वाले निर्माण हुए हैं जमशेदपुर अघिसूचित क्षेत्र समिति के अन्तर्गत? याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने माननीय अदालत को बताया कुल 1257 अवैध निर्माण हुए हैं और 46 की फेहरिस्त 2011 का है। उन्होंने माननीय अदालत को पिटीशन में पृष्ठ संख्या 44 से 56 को दिखाते हुए बताया कि यह हमने सूचना के अधिकार द्वारा प्राप्त किया है जिसके अनुसार अगस्त, 2017 तक अक्षेस ने 535 अवैध निर्माणों को कारण पृच्छा नोटिस जारी किया है! इस पर माननीय अदालत ने उपनगर आयुक्त को पूछा कि आप स्पष्ट बताईये कितने अवैध निर्माण हुए हैं!
माननीय अदालत इस बात पर हैरान थी कि जमशेदपुर जैसे छोटे से शहर में 1257 अवैध निर्माण हैं! माननीय अदालत ने याचिकाकर्ता के अधिवक्ता से आश्चर्य व्यक्त करते हुए पूछा कि क्या 1257 का आंकड़ा विश्वसनीय है और वे पूरा फेहरिस्त अदालत में दाखिल कर सकते हैं? इस पर याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अखिलेश श्रीवास्तव ने कहा कि उनके पास फेहरिस्त के अलावे फोटोग्राफ्स भी हैं पर उप नगर आयुक्त इतना तो बता ही सकते हैं कि उन्होंने कितना परमिट जारी किया है? इस पर माननीय अदालत ने उप नगर आयुक्त को कहा कि आपके द्वारा दायर काउंटर एफीडीविट में एवं याचिकाकर्ता के द्वारा दायर सूची में यह संख्या 535 का है और अवैध निर्माणों की कुल संख्या याचिकाकर्ता के अनुसार 1257 का है। आप कोर्ट को गुमराह कर रहे हैं।
उपनगर आयुक्त द्वारा अनभिज्ञता ज़ाहिर करने पर न्यायाधीश ने उपनगर आयुक्त को सीधे निर्देश देते हुए कहा कि जमशेदपुर में आज तक नक्सा विचलन कर बने सभी भवनों की विस्तृत जाँच स्पेशल टीम बना कर करें और अब तक किए गये कार्रवाईयों का पूरा ब्योरा हलफनामा के ज़रिए अगली तारीख़ से पूर्व अदालत में दाखिल करें। माननीय अदालत ने आगे कहा कि इस बीच विचलन व पार्किंग पर कार्रवाई जारी रखते हुए जल्द से जल्द सुधार करें केवल नोटिस से काम नहीं चलेगा, आपको कार्रवाई करनी पड़ेगी। साथ ही माननीय अदालत ने यह भी जोड़ा कि यदि कार्रवाई के बीच किसी तरह का व्यवधान अथवा अनैतिक दबाब आये तो माननीय अदालत को तुरंत सूचित करे, किसी के अनैतिक दबाब पर कार्रवाई प्रभावित नहीं होनी चाहिंए।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने इतने बड़े पैमाने पर हुए विचलन के कारणों पर न्यायालय का ध्यान आकृष्ट करते हुए समुचित समाघान के लिए आग्रहपूर्वक कुछ उपाय सुझाए जिस पर माननीय न्यायाधीश महोदय ने अलग से हलफनामा दायर करने की ताकीद की और अगली तारीख़ में सुनवाई कर समुचित निर्देश देने का आश्वासन दिया। अगली तारीख़ २७ जून को सुनिश्चित की गई है। याचिकाकर्ता के तरफ से अधिवक्ता अखिलेश श्रीवास्तव, रोहित सिंहा, निर्मल घोष और एम आई हसन ने सुनवाई में हिस्सा लिया!
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