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सुप्रीम कोर्ट ने SC/ST एक्ट के तहत आरोपितों के खिलाफ कार्यवाही को की रद, सुनाया बड़ा फैसला

By Aditi Pandey

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quashed against the accused under the SC/ST Act

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सोशल संवाद/डेस्क: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के तहत कथित अपराध के लिए कुछ आरोपितों के खिलाफ शुरू की गई कार्यवाही को यह कहते हुए रद कर दिया कि शिकायतकर्ता के घर को सार्वजनिक दृश्य में नहीं माना जा सकता।

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हालांकि, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने स्पष्ट किया कि पूर्ववर्ती भारतीय दंड संहिता के तहत कथित अपराधों के लिए उनके खिलाफ कार्यवाही कानून के अनुसार जारी रहेगी। पीठ ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के जुलाई के एक आदेश को चुनौती देने वाली आरोपितों द्वारा दायर अपील पर फैसला सुनाया, जिसमें निचली अदालत के आदेश को बरकरार रखा गया था।

क्या था निचली अदालत का फैसला?

निचली अदालत ने आरोपितों को एससी/एसटी अधिनियम के तहत कथित अपराधों के लिए मुकदमे का सामना करने के लिए तलब किया था। शीर्ष अदालत ने कहा कि हाई कोर्ट ने माना था कि शिकायतकर्ता के बेटे को अभियुक्तों ने सार्वजनिक सड़क पर सबके सामने पीटा था, जिससे घटना एससी/एसटी अधिनियम के प्रविधानों के तहत अपराध के दायरे में आती है।

मामले में शिकायतकर्ता द्वारा पहले दायर आवेदन से पता चला है कि कथित जातिवादी गालियां शिकायतकर्ता के परिसर के अंदर अपीलकर्ताओं द्वारा इस्तेमाल की गई थीं। पहली नजर में यह परिस्थिति वैधानिक आवश्यकता को पूरा नहीं करती है।”

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