सोशल संवाद/डेस्क : तिब्बती आध्यात्मिक धर्मगुरु दलाई लामा ने कहा है कि अहंकार, क्रोध और ईर्ष्या के कारण दुनिया दो विश्व युद्ध झेल चुकी हैं और तीसरे की तैयारी में हैं। यह चिंतन का विषय है। विध्वंसकारी शक्तियों से स्वार्थी प्रवृत्ति जन्म लेती है। इसके प्रभाव में हम युद्धों और संघर्षों में उलझ कर एक दूसरे को मारते और नुकसान पहुंचाते हैं। उक्त बातें शनिवार को कालचक्र मैदान में प्रवचन के दौरान दूसरे दिन दलाई लामा ने यह बात कही और मानव जाति को इसके खतरों से अवगत कराया।
इन दिनों ज्ञान की भूमि बोधगया में आस्था का सैलाब बह रहा है। तिब्बती आध्यात्मिक धर्मगुरु दलाई लामा बौद्ध अनुयायियों के आध्यात्मिक मार्ग दर्शन कर रहे हैं। आस्था के इस जनसैलाब में विभिन्न देशों के लगभग 60 हजार से अधिक बौद्ध श्रद्धालु डुबकी लगा रहे है।
सर्द हवाओं के बीच अहले सुबह से बौद्ध श्रद्धालु बाल-बच्चों के साथ आवासन स्थलों से सड़क पर निकल जा रहे हैं। सुबह से शाम तक बोधगया की छोटी-बड़ी सड़कें बौद्ध श्रद्धालुओं की आवाजाही से गुलजार हैं। विशेष शैक्षणिक सत्र के दूसरे दिन दलाई लामा ने अनुयायियों को बोधिसत्व और स्वार्थी चित से होने वाले नुकसान को समझाया। उन्होंने कहा अगर आपके अंदर शांति होगी तभी आप अपने आसपास शांति पैदा कर सकेंगे।
मानवता की एकता पर दिया बल दलाई लामा ने मानवता की एकता पर बल दिया। दलाई लामा ने कहा कि अरबों मनुष्यों की एकता की अवधारणा की आवश्यकता है कि सभी एक जैसे हैं। उन्होंने अहंकारी व्यवहार का खंडन किया, जो हिंसा और घृणा को प्रोत्साहन देता है।