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सरयू राय ने कहाः नदियों पर डैम बनाने से पर्यावरण पर प्रतिकूल असर

By Tamishree Mukherjee

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नदियों पर डैम बनाने से पर्यावरण पर प्रतिकूल असर

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सोशल संवाद / धनबाद : जमशेदपुर पश्चिमी के विधायक और दामोदर बचाओ आंदोलन के प्रणेता सरयू राय ने कहा है कि नदियों को बांधा नहीं जाना चाहिए। उन्हें बांधने से, उन पर डैम बनाने से पर्यावरण पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। अब भारत समेत दुनिया भर में नदियों को बांधने पर जबरदस्त विरोध किया जा रहा है। वह आईआईटी (आईएसएम), धनबाद में विश्व पृथ्वी दिवस पर आईआईटी (आईएसएम), युगांतर भारती, मेल-हब के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित संगोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे।

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सरयू राय ने कहा कि नदियों पर डैम बनाने के दुष्परिणाम धीरे-धीरे अब दुनिया के सामने आने लगे हैं और यही वजह है कि अब इनका विरोध दुनिया भर में हो रहा है। उन्होंने आईआईटी, आईएसएम जैसे संस्थान को प्रकृति के पैथोलॉजिकल टेस्टिंग सेंटर की तरह बताया जहां पर मानवीय गतिविधियों से पृथ्वी और पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभावों का पता चलता है। श्री राय ने कहा कि आज पर्यावरण को सबसे ज़्यादा खतरा मानवीय गतिविधियों से ही हो रहा है। यह इंसान ही है, जिसने प्रकृति का अपने हित के लिए दोहन किया और उसकी हालत खराब की।

इसके पूर्व झारखंड में पर्यावरण और जैव विविधता के संरक्षण और संवर्धन की दिशा में संयुक्त रूप से प्रयास करने के लिए स्वयंसेवी संस्था युगांतर भारती और आईआईटी-आईएसएम धनबाद के बीच एमओयू हुआ। युगांतर भारती के अध्यक्ष अंशुल शरण और आईआईटी-आईएसएम धनबाद की तरफ से प्रोफेसर अंशुमाली ने एमओयू किया। इस ओमओयू का मकसद जैव विविधता के संरक्षण, शैक्षणिक जानकारी व रुचि की सामग्रियों के बारे में सूचना का आदान-प्रदान, संयुक्त वृक्षारोपण कार्यक्रम, पर्यावरण मुद्दों पर सेमिनार, कार्यशाला, जागरूकता कार्यक्रम, व्यावहारिक प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करना व स्वरोजगार उत्पन्न करना, शैक्षणिक साहित्य का आदान-प्रदान, संयुक्त परामर्श सेवाएं, अनुसंधान गतिविधियों और प्रकाशन संबंधित कार्य करना है।

संगोष्ठी के मुख्य वक्ता आईआईटी खड़गपुर के प्रोफेसर अशोक कुमार गुप्ता ने पीपीटी के माध्यम से ‘ट्रांसफॉर्मिंग एंड वेस्ट वाटर मैनेजमेंट इन इंडिया: एडवांसिंग सस्टेनेबिलिटी एंड एनर्जी एफिशिएंसी एप्रोच’ विषय पर प्रकाश डालते हुए विस्तृत व्याख्यान दिया।

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संगोष्ठी का विषय प्रवेश करते हुए आईआईटी(आईएसएम) के प्रो अंशुमाली ने कहा कि लैंड पॉलिसी सभी पॉलिसियों की जननी है, क्योंकि सभी नीतियों के क्रियान्वयन के लिए सर्वप्रथम भूमि की ही आवश्यकता होती है। आजकल सरकार भी भूमि अधिग्रहण के बदले रैयतों को काफ़ी बढ़िया मुआवज़ा दे रही है। दामोदर नद के इर्द-गिर्द विभिन्न प्रकार के औद्योगिक निकायों ने नदी तट और उसके वेटलैंड क्षेत्र पर अतिक्रमण कर उसे बर्बाद कर दिया है। इन उधोगों के कारण दामोदर की कई सहायक नदियों के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है। दामोदर भी इससे अछूता नहीं है। हमने अपनी कारगुज़ारियों से ज़मीन और पर्यावरण का नेचर बदल दिया है।

आईआईटी (आईएसएम) धनबाद के निदेशक प्रो. सुकुमार मिश्रा ने आविष्कार, नवाचार एवं ज्ञान-विज्ञान को राष्ट्र के आर्थिक तरक्की का आधार बताया और कहा कि अब अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में मनोयोग से काम करने की जरूरत आन पड़ी है। उन्होंने इस पूरे क्रिया-कलाप में गैर सरकारी संगठनों को आम आदमी तक प्रचार एवं प्रसार का सशक्त माध्यम बताया।

विशिष्ट अतिथि युगांतर भारती के अध्यक्ष अंशुल शरण ने कहा कि इंसानी हरकतों के कारण भी पर्यावरण में घोर असंतुलन की स्थिति लगातार ख़राब होती चली जा रही है। पशुओं की कई नस्लें लुप्त हो गई हैं। आज सारा विश्व अतिवृष्टि और अनावृष्टि से जूझ रहा है। पृथ्वी दिवस 2025 की थीम अक्षय ऊर्जा के महत्व पर जोर देता है और स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों के वैश्विक सहयोग का आह्वान करता है।

आईआईटी-आईएसएम, धनबाद के डीन एस.के.गुप्ता ने कहा कि ज्ञान का विश्लेषण ही विज्ञान है। पहले किसी भी चीज़ की खोज होती है, उसके बाद उसपर रिसर्च होता है। रिसर्च के बाद ही उसका गुण-अवगुण हमारे सामने आता है। उन्होंने कहा कि अब वक्त आ गया है, जब हमें जीवाश्म ईंधन का विकल्प ढूंढना होगा। हमें नवीकरणीय ऊर्जा और अक्षय ऊर्जा जैसे प्राकृतिक विकल्पों की ओर मुड़ना होगा। तभी हम पृथ्वी को गर्म होने से बचा पाएंगे और यह धरा हमारे रहने लायक रहेगी।

विशिष्ट अतिथि तथा भारतीय पुलिस सेवा से सेवानिवृत संजय रंजन सिंह ने आईआईटी-आईएसएम धनबाद की 100वीं वर्षगांठ पर संस्थान के सभी शिक्षकों और छात्रों को बधाई देते हुए कहा कि धनबाद एक सुव्यवस्थित शहर था। पहले यहां पर अंडर ग्राउंड माइनिंग होता था। वायु प्रदूषण नाममात्र की थी। ओपन माइनिंग के कारण ओवर बर्डन हो गया है। यह धनबाद के सीने पर बहुत बड़ा बोझ है। धनबाद का वातावरण अत्यधिक विषैला हो गया है।

पर्यावरणविद डा. राकेश कुमार सिंह ने कहा कि आजकल हमारे शिक्षा का ध्येय केवल नौकरी है। नौकरी तो सभी करते है, पर काम कोई-कोई ही करता है और जो काम करता है उसी की पहचान होती है। पर्यावरण के क्षेत्र में इस देश को काम करने वालों की जरूरत है। दामोदर बचाओ आंदोलन के धनबाद जिला संयोजक अरुण राय ने कहा कि पेड़ पौधे मानव जीवन के लिए धरोहर है। यह कार्बन डाइऑक्साइड अवशोषित कर प्राणवायु ऑक्सीजन प्रदान करता है।

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स्वागत भाषण आईआईटी (आईएसएम) के पर्यावरण विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. आलोक सिन्हा ने दिया। धन्यवाद ज्ञापन प्रो सुरेश पांडियन ने किया। मंच संचालन मेल-हब की डॉ. मेघा त्यागी ने किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में आईआईटी (आईएसएम), धनबाद के पर्यावरण विभाग, मेल-हब के शिक्षक, विद्यार्थीगण और कर्मचारियों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

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