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Sebi कंपनियों की लिस्टिंग और डिस्क्लोजर को लेकर कर सकता है करीब 50 बदलाव, 21 सदस्यीय कमेटी ने सौंपी रिपोर्ट

By Tamishree Mukherjee

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सोशल संवाद / डेस्क: प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (Sebi) जल्द ही लिस्टेड कंपनियों और पब्लिक मार्केट तक पहुंचने वाली कंपनियों के लिए और सूचीबद्धता दायित्वों (disclosure and listing obligations) को आसान बनाने के उद्देश्य से करीब 50 बदलावों पर विचार करेगा।

सेबी के पूर्व पूर्णकालिक सदस्य एसके मोहंती (SK Mohanty) की अध्यक्षता वाली 21 सदस्यीय कमेटी ने 200 पेजों से ज्यादा की रिपोर्ट में अपनी सिफारिशें पेश की है, जिसमें रिलेटेड पार्टी ट्रांजैक्शंस (RPT) मानदंड, प्रमोटर रीक्लासिफिकेशन और लॉक-इन जरूरतें, डायरेक्टर की नियुक्तियां, प्रारंभिक सार्वजनिक प्रस्तावों (IPO) के लिए एलिजिबिलिटी नियम, प्री-IPO ट्रांजैक्शन का खुलासा, राइट्स इश्यू और डिस्क्लोजर की समयसीमा में ढील के बदलाव शामिल हैं।

एक्सपर्ट ग्रुप ने IPO के माध्यम से जुटाए गए फंड का उपयोग पूंजीगत खर्च (कैपेक्स) के लिए करने के मामले में प्रमोटर लॉक-इन पीरियड को बढ़ाने का प्रस्ताव रखा है।

सेबी द्वारा जारी 215 पेज के कंसल्टेशन पेपर में कहा गया है, ‘अतिरिक्त खुलासे उन मामलों में प्रदान किए जाने चाहिए जहां कार्यशील पूंजी (working capita) को फंड करने के लिए इश्यू की रकम का उपयोग किया जाता है।’

इसके अलावा, मुकदमेबाजी या विवादों के खुलासे की समयसीमा को मौजूदा 24 घंटों से बढ़ाकर 72 घंटों करने का प्रस्ताव किया गया है। रेगुलेटर ने प्री-IPO ट्रांजैक्शन के अधिक खुलासे की भी मांग की है।

कंसल्टेशन लेटर में कहा गया है, ‘कोई भी प्री-लिस्टिंग मुआवजा या लाभ-साझाकरण समझौता (pre-listing compensation or profit-sharing agreement) जो लिस्टिंग के बाद भी बना रहता है, उसे लिस्टिंग के बाद आयोजित पहली आम बैठक में शेयरधारकों द्वारा मंजूर किया जाना चाहिए।’

RPT मानदंडों के नियमों में सुधार के लिए, सेबी ने परिभाषा, अप्रूवल्स और छमाही डिस्क्लोजर में कई छूटों का सुझाव दिया है। उदाहरण के लिए, डायरेक्टर्स या सीनियर मैनेजमेंट को दिए जाने वाले पारिश्रमिक और सिटिंग फीस को खुलासे से छूट दी जा सकती है। दो पब्लिक सेक्टर की कंपनियों या किसी सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम (PSE) और राज्य या केंद्रीय सरकार के बीच लेनदेन को RPT के तहत अप्रूवल से छूट दी जा सकती है।

इसके अलावा, रेगुलेटर उन कंपनियों को भी IPO दाखिल करने की अनुमति दे सकता है जिनके पास स्टॉक एप्रिसिएशन राइट्स (SARs) बकाया हैं। हालांकि, यह केवल उन कंपनियों पर लागू होगा जहां ऐसे SARs केवल कर्मचारियों को दिए गए हैं। SARs कर्मचारियों को दी जाने वाली एक प्रकार की कंपेंजेशन है जो कंपनी के स्टॉक प्राइस के परफॉर्मेंस से जुड़ी होती है।

रेगुलेटर लिस्टेड कंपनियों या लिस्ट होने वाली कंपनियों द्वारा जारी एक्सचेंज फाइलिंग और विज्ञापनों को सुव्यवस्थित करने की भी योजना बना रहा है ताकि ऐसी फाइलिंग और कागजी कार्रवाई को कम किया जा सके। जबकि सेबी ने फिजिकल शेयरों के नुकसान पर नियमित फाइलिंग को हटाने का सुझाव दिया है, इसने फाइलिंग को फाइनेंशियल और गवर्नेंस कैटेगरी में अलग करने और प्रत्येक श्रेणी के लिए अलग समयसीमा प्रस्तावित की है।

इसके अतिरिक्त, इसने उन शेयरधारकों को संक्षिप्त वार्षिक रिपोर्ट की फिजिकल कॉपियों को भेजने की जरूरत को समाप्त करने का प्रस्ताव दिया है जिनकी ईमेल आईडी उपलब्ध नहीं है। इसके बजाय, ऐसे शेयरधारकों को एक लेटर भेजा जाना चाहिए जिसमें यह लिंक बताया गया हो जहां से सालाना रिपोर्ट डाउनलोड की जा सकती है।

इसी तरह, IPO-बाउंड कंपनियों के लिए प्री-इश्यू विज्ञापन और प्राइस बैंड विज्ञापन को सिंगल विज्ञापन के रूप में कंबाइन करने और क्विक रिस्पांस (QR) कोड लिंक के साथ कुछ जानकारी के खुलासे की अनुमति देने का प्रस्ताव किया गया है।

सेबी टॉप 2,000 कंपनियों को कम से कम एक महिला स्वतंत्र निदेशक (woman independent director ) नियुक्त करने और एक जोखिम-प्रबंधन समिति (risk-management committee) का गठन करने के लिए भी प्रोत्साहित करेगा। वर्तमान में, यह केवल टॉप 1,000 लिस्टेड कंपनियों के लिए अनिवार्य है।

ज्यादातर प्रस्तावों का उद्देश्य सेबी के लिस्टिंग जरूरतों और खुलासे आवश्यकताएं (LODR) और कैपिटल के इश्यू और खुलासे की आवश्यकता (ICDR) नियमों में अंतराल को पाटना और ओवरलैप को कम करना है।

रेगुलेटर ने इन प्रस्तावों पर 17 जुलाई तक टिप्पणियां मांगी हैं।

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