September 11, 2024 2:24 pm
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आईएसएम, धनबाद, युगान्तर भारती, लाइफ और नेचर फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में विश्व पृथ्वी दिवस के अवसर पर सेमिनार का आयोजन

सोशल संवाद डेस्क : आईएसएम, धनबाद, युगान्तर भारती, लाइफ और नेचर फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में विश्व पृथ्वी दिवस के अवसर पर एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन आईएसएम धनबाद परिसर अवस्थित penman सभागार में किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि और झारखंड विधानसभा के सदस्य और दामोदर बचाओ आंदोलन के अध्यक्ष सरयू राय थे। सेमिनार का विषय “Invest in our planet-through sustainable living practices” था।

इस दौरान सरयू राय ने कहा कि देश के सर्वश्रेष्ठ शिक्षण संस्थानों में से एक आईएसएम में विश्व पृथ्वी दिवस के अवसर पर मुझे संबोधित करते हुए अत्यंत गर्व का अनुभव हो रहा है। औद्योगिक क्रांति के समय से ही मानव और प्रकृति का संघर्ष आरम्भ हो गया है। प्रकृति ने जो तत्व, खनिज हमें उपलब्ध कराए है, उस तत्व एवं अन्य यौगिकों के माध्यम से नए तत्व और औजार का आविष्कार मेधावी मस्तिष्क के धनी व्यक्तियों ने किया है। अब मनुष्य उसी तत्व और औज़ार का दुरुपयोग कर प्रकृति को और पृथ्वी को नुकसान पहुंचा रहा है।

औद्योगिक क्रांति के भुक्तभोगी, पीड़ित के रूप में अमेरिका और इंग्लैंड के नाम शिखर पर लिया जाता है। 1960 से 72 के बीच अमेरिका के आर्थिक, प्राकृतिक मुद्दों पर विचार करने वाले प्रबुद्धजनों को लगा कि विकास की धारा नई समस्या को जन्म दे रही है और यह समस्या वहाँ के लोगों और पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है। तब अमेरिका के एक सीनेटर ने तय किया कि पर्यावरण के प्रति लोगों में समझ पैदा करने, उसका संरक्षण करने के लिए लोगों को जागरूक करने के लिए वैश्विक स्तर पर एक नियत तिथि और उचित प्लेटफॉर्म की आवश्यकता है। इसके लिए 22 अप्रैल 1970 का दिन तय किया गया, तब से लेकर आज तक पूरी दुनिया मे 22 अप्रैल को विश्व पृथ्वी दिवस मनाया जाता है। प्राकृतिक संसाधनों का अनियमित और अनियंत्रित दोहन कई सारे प्राकृतिक आपदाओं को जन्म दे रही है। 1972 के बाद ही  अनेक एक्ट, कानून बने, 1974 में जल नीति बसनी। इससे पूर्व पर्यावरण संरक्षण के बारे में कोई मैकेनिज्म नहीं था।

आज सरकार नाम की जो इकाई है, और उसके जो प्रशासनिक पदों पर मेधावी मस्तिष्क के लोग विराजमान है, वे मान लेते है कि उनका अलग इनिटेटि है और आम आदमी का अलग है।अगर उनके भीतर थोड़ा सा भी भाव जग जाय कि हम अलग इनिटेटि में नहीं है, बल्कि इसी समाज का एक अभिन्न अंग है, तभी हम प्रकृति और अपने अस्तित्व की रक्षा करने में सफल होंगे। औद्योगिक और नगरीय प्रदूषण के द्वारा नदियों का गला घोंटा जा रहा है।

इस दौरान कार्यक्रम में नेचर फाउंडेशन संस्था द्वारा प्रकाशित मासिक पत्रिका “युगान्तर प्रकृति” का विमोचन  मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथि एवं अन्य गणमान्य प्रबुद्धजनों के द्वारा किया गया।

सेमिनार के विशिष्ट अतिथि माता वैष्णो देवी,  विश्वविद्यालय,  कटरा जम्मू के कुलपति, पद्मश्री आरके सिन्हा ने अपने संबोधन में कहा कि नदियों के प्रवाह में बदलाव का होना जैव विविधता का एक प्रमुख लक्षण है। एक वैज्ञानिक अनुसंधान में यह बात साबित हुई है कि सुंदरवन डेल्टा के मैंग्रोव पौधे पीपल के वृक्ष के अपेक्षा अधिक मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड अवशोषित करते है।

आईएसएम, धनबाद के निदेशक, राजीव शेखर ने वर्चुअल संबोधन में कहा कि विकास और प्रकृति के बीच मे संतुलन बनाने की आवश्यकता है। धनबाद ज़िला का मास्टर प्लान (2020-30) पर प्रोफेसर vgk विल्लुरी, प्रोफेसर एस आर समादर, प्रोफेसर श्रीनिवास पी., प्रोफेसर ए के प्रसाद, प्रोफेसर एस के पाल, प्रोफेसर डी कुमार और प्रोफेसर एस आलम ने अपनी प्रस्तुति दी। ग्रीन टेक्नोलॉजी : इनोवेशन इन sustainbility विषय पर सिम्फ़र धनबाद की वरिष्ठ मुख्य वैज्ञानिक, डॉ वी. अंगुसेल्वी ने अपना व्याख्यान दिया।

Small rivers are kidneys of transboundary basins पर आईएसएम धनबाद के ese विभाग के विभागाध्यक्ष, प्रोफेसर अंशुमाली ने अपना विचार रखा। कोयलांचल में दामोदर बचाओ आंदोलन के समन्वयक, अरुण कुमार राय ने ‘दामोदर बचाओ आंदोलन का कोलयंचल में मूल्यांकन’ विषय पर अपने अनुभव साझा किए। धन्यवाद ज्ञापन युगान्तर भारती के सचिव आशीष शीतल मुंडा ने किया।

सेमिनार में मुख्य रूप से अरुण कुमार राय, धर्मेंद्र तिवारी, डॉ गोपाल शर्मा, उदय सिंह, प्रो. अंशुमाली, अंशुल शरण, सुरेंद्र सिंह, श्रवण सिंह, अभय सिंह एवम आईएसएम धनबाद के फैकल्टी, प्रोफेसरगण, विद्यार्थीगण सहित युगान्तर भारती और दामोदर बचाओ आंदोलन के सैकड़ों कार्यकर्ता उपस्थित थे।

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