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आपातकाल की ज्यादतियां की शाह कमीशन रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाए :- दीपक प्रकाश

By Nidhi Ambade

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आपातकाल की ज्यादतियां की शाह कमीशन रिपोर्ट

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सोशल संवाद/डेस्क: भाजपा के निवर्तमान प्रदेश अध्यक्ष सह राज्यसभा में भाजपा के सचेतक दीपक प्रकाश ने आज राज्यसभा में 28 मई 1977 में भारत सरकार के द्वारा आपातकाल (1975-76) के समय की गयी ज्यादतियों की जाँच के लिये भारत के भूतपूर्व मुख्य न्यायधीश न्यायमूर्ति जे.सी. शाह की अध्यक्षता में बनाये गये जांच आयोग के रिपोर्ट को लोकहित और देशहित में सार्वजनिक करने की मांग करते हुए खूब गरजे. प्रकाश ने कहा कि आपातकाल के समय की गई ज्यादतियों की जांच के लिए शाह आयोग ने सौ बैठकें की थीं, 48,000 कागजात की पड़ताल की थी और दो अंतरिम रिपोर्ट पेश की थीं. पहली अन्तरिम रिर्पोट 11 मार्च 1978 को सौंपी गयी थी. अन्तिम रिपोर्ट 6 अगस्त 1978 को प्रस्तुत की गयी.

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प्रकाश ने कहा कि महोदय आपातकाल की जांच के लिए बने शाह आयोग की रिपोर्ट की प्रतियां पुन: सत्ता में आई इंदिरा सरकार द्वारा नष्ट कर दी गई थी. तत्कालीन इंदिरा गांधी की सरकार ने न सिर्फ देश मे मौजूद रिपोर्ट को नष्ट की बल्कि दुनियां में जहां जहां वह रिपोर्ट मौजूद था तत्कालीन सरकार ने उसे वहां से मंगा कर नष्ट कर दी. लेकिन एक प्रति ऑस्ट्रेलिया की सेंट्रल लाइब्ररी में आज भी मौजूद है. उन्होंने कहा कि महोदय रिपोर्ट आपातकाल के दौरान हुई बर्बरता, तानाशाही, अत्याचार और लोकतंत्र की हत्या के रहस्य को खोलेंगी साथ ही वह रिपोर्ट कांग्रेस के काले और विकृत चेहरे को भी उजागर करेगी.
उन्होंने कहा कि महोदय आपके माध्यम से मैं मांग करता हूँ कि उक्त रिपोर्ट की जो प्रतियां ऑस्ट्रेलिया के लाइब्रेरी में मौजूद है, उसे देशहित में वापस लाया जाए और उसे सार्वजनिक किया जाए.
सदन में सभापति के रुप में मौजूद भारत के उप-राष्ट्रपति ने इस विषय को तुरंत गंभीरता से संज्ञान लेते हुए संसद में उपस्थित माननीय मंत्री को निर्देश दिए कि इस रिपोर्ट को सार्वजनिक करने के लिए हर संभव प्रयत्न करें साथ ही सभापति ने इस काल खंड को “डार्केस्ट पीरियड ऑफ इंडियन डेमोक्रेसी” के रूप में संबोधित किया और इस विषय को अतिमहत्वपूर्ण बताया. सदन में उपस्थित सदस्यों ने भी इस विषय को उठाने के लिए दीपक प्रकाश की सराहना और समर्थन दिया.

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