सोशल संवाद / डेस्क : विषय: एलएनजी की भू-राजनीति और कच्चे तेल के बाद उसका बढ़ता प्रभाव
सिद्धार्थ प्रकाश: डॉ. कुमार, वैश्विक ऊर्जा परिदृश्य बदल रहा है। आने वाले दशक में आप एलएनजी को भू-राजनीतिक रूप से किस तरह आकार लेते हुए देखते हैं?
डॉ. अजय कुमार: सिद्धार्थ, एलएनजी सिर्फ एक ऊर्जा स्रोत नहीं, बल्कि एक भू-राजनीतिक हथियार बन चुका है। पहले देश पाइपलाइनों और दीर्घकालिक तेल समझौतों पर निर्भर थे, लेकिन अब एलएनजी ने व्यापार को अधिक लचीला बना दिया है। अब ऊर्जा सुरक्षा सिर्फ तेल उत्पादक देशों के इशारों पर नहीं, बल्कि वैश्विक व्यापारिक साझेदारियों पर निर्भर करेगी। अमेरिका, रूस, और कतर जैसे देश अपनी एलएनजी आपूर्ति रणनीति को नए सिरे से गढ़ रहे हैं, जिससे ऊर्जा का पूरा खेल बदलने वाला है।
सिद्धार्थ प्रकाश: उभरते हुए बाजारों के बारे में काफी चर्चा हो रही है। क्या वे वास्तव में एलएनजी व्यापार का भविष्य हैं?
डॉ. अजय कुमार: बिल्कुल! एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका की उभरती अर्थव्यवस्थाएँ अब इस व्यापार का केंद्र बन रही हैं। भारत, चीन और बांग्लादेश जैसे देश एलएनजी की खपत तेजी से बढ़ा रहे हैं, जबकि अफ्रीकी देश अब प्रमुख आपूर्तिकर्ता बनने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। सबसे दिलचस्प बात यह है कि फ़्लोटिंग स्टोरेज रीगैसिफिकेशन यूनिट्स (FSRU) जैसी तकनीकों ने एलएनजी को ज़मीन आधारित महंगी संरचनाओं के बिना ही व्यापार करने योग्य बना दिया है।
सिद्धार्थ प्रकाश: आपने अपने भाषण में FLNG और FSRU की बात की थी। इनका ऊर्जा क्षेत्र पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
डॉ. अजय कुमार: पारंपरिक गैस टर्मिनल और पाइपलाइन बनाने में सालों लगते हैं और अरबों डॉलर खर्च होते हैं। FLNG और FSRU इससे बहुत सस्ता और तेज़ विकल्प देते हैं। ये तकनीकें उन देशों के लिए वरदान साबित हो रही हैं, जो ऊर्जा आयात को आसान बनाना चाहते हैं। भविष्य में ऊर्जा सुरक्षा उन्हीं देशों के पास होगी, जो इन आधुनिक तकनीकों को तेजी से अपनाएंगे।
सिद्धार्थ प्रकाश: क्या एलएनजी भविष्य में कच्चे तेल को पूरी तरह से हटा देगा?
डॉ. अजय कुमार: ऐसा कहना जल्दबाजी होगी कि एलएनजी तेल की जगह ले लेगा, लेकिन हां, इसकी भूमिका बहुत बड़ी होने वाली है। एलएनजी एक स्वच्छ और लचीला विकल्प है, और कई देश इसे प्राथमिक ऊर्जा स्रोत बनाने की दिशा में बढ़ रहे हैं। अगले दो दशकों में यह देखना दिलचस्प होगा कि किस देश ने इस बदलाव को समय रहते अपनाया और कौन पीछे रह गया।
सिद्धार्थ प्रकाश: भारत में एलएनजी बाजार का क्या भविष्य है? क्या हम सही दिशा में आगे बढ़ रहे हैं?
डॉ. अजय कुमार (हंसते हुए): देखिए, भारत में एलएनजी का भविष्य कैसा होगा, यह दो चीज़ों पर निर्भर करता है—नीतियां और नौकरशाही! हमारे यहाँ एलएनजी टर्मिनल्स बनाने के लिए जितनी फाइलें घूमती हैं, उतनी गैस शायद टर्मिनल से बाहर भी नहीं निकल पाती! (हंसते हुए)
हमारे पास दुनिया के सबसे बड़े एलएनजी आयातक बनने की क्षमता है, लेकिन निर्णय लेने में इतनी देरी होती है कि जब तक नीतियां लागू होती हैं, बाज़ार का परिदृश्य बदल चुका होता है। अगर सरकार तेजी से निर्णय ले, विदेशी निवेशकों को प्रोत्साहित करे और बुनियादी ढांचे को प्राथमिकता दे, तो भारत एलएनजी हब बन सकता है। वरना, हम सिर्फ सेमिनारों में एलएनजी की संभावनाओं पर चर्चा करते रहेंगे, और बाकी दुनिया आगे बढ़ जाएगी।
सिद्धार्थ प्रकाश: यह काफी रोचक और व्यावहारिक दृष्टिकोण है। भविष्य के लिए आपकी कोई सलाह?
डॉ. अजय कुमार: सरकारों और उद्योग जगत को मिलकर एलएनजी बुनियादी ढांचे में निवेश करना चाहिए। हमें नवाचार अपनाना होगा और वैश्विक ऊर्जा व्यापार में अपनी भूमिका तय करनी होगी। जो देश इस बदलाव को पहले स्वीकार करेगा, वही अगले 50 वर्षों तक ऊर्जा सुरक्षा में अग्रणी रहेगा।
सिद्धार्थ प्रकाश: बहुत बहुत धन्यवाद, डॉ. कुमार, इस ज्ञानवर्धक चर्चा के लिए।
डॉ. अजय कुमार: धन्यवाद, सिद्धार्थ। ऊर्जा का भविष्य तेज़ी से बदल रहा है, और एलएनजी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला है।
