सोशल संवाद/ डेस्क: वैशाख शुक्ल पक्ष की सीता नवमी व मासिक दुर्गा अष्टमी है। सीता नवमी को सीता जयन्ती के नाम से भी जाना जाता है। विवाहित महिलायें इस दिन व्रत रखती हैं तथा अपने पति की दीर्घायु की कामना करती हैं। पंचांग के अनुसार, 5 मई के दिन सीता नवमी व मासिक दुर्गाष्टमी पड़ रही है।
पूरे भारत में गहरी भक्ति और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है, खासकर उन जगहों पर जहा राम सीता से जुड़ा सांस्कृतिक महत्व है यह त्यौहार देवी सीता द्वारा पवित्रता शक्ति और भक्ति के गुणों का सम्मान करता है। मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन मिथिला के राजा जनक को हल चलाते समय धरती से माता सीता मिली थीं। इसलिए इस दिन को ‘भूमिपुत्री’ या ‘धरती की बेटी’ सीता का जन्मदिन भी कहा जाता है।
माता सीता का जन्म नहीं बल्कि धरती से प्रकट हुई थी जब राजा जनक खेत जोत रहे थे यह दिन उनके गुण दृढ़ता और निष्ठां की याद के रूप में प्रचलित है। माता सीता का जीवन लाखो लोगो के लिए प्रेरणादायी है सभी उनकी कृपा और शक्ति को याद करते है। वनवास के वर्षो के दौरान भगवान राम में उनकी अटूट आस्था को भी याद करते है।
यह पर्व माता सीता के जन्म और उनके दिव्य गुणों का सम्मान करने के लिए मानते हैं।
वाल्मीकि रामायण अनुसार, माता सीता का जन्म वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की नवमी को हुआ था वही कई लोगो का मानना है कि इस दिन सीता माता की puja से वैवाहिक सुख प्राप्त होता है रिश्तो में आने वाली बाधाएं दूर हो जाती है। भारत के उत्तर प्रदेश और बिहार और पडोसी देश नेपाल में भी माता सीता के जन्म उत्सव बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है।
सभी पवित्र स्नान कर स्वच्छ पारंपरिक कपड़े पहन माता सीता की मूर्तियों को स्थापित करते है और उन्हें पंचामृत से नहलाकर फूलो और सुंदर वेशभूषा पहनते है और फिर खासतौर पर सीता के जन्म और उनके जीवन का वर्णन करने का अध्याय करते है साथ ही रामायण किए चौपाई का पाठ करते है। इस दिन विवाहित महिलाये सुखी जीवन की कामना करते है इसके अलावा अविवहित महिलाये भी माता सीता की पूजा अर्चना कर अच्छे जीवनसाथी की कामना करती हैं।