सोशल संवाद/डेस्क : पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में 10-12 मार्च के बीच हुई हिंसा के बाद अब हालात धीरे-धीरे सामान्य हो रहे हैं। सोमवार को ADG लॉ एंड ऑर्डर जावेद शमीम ने बताया- दुकानें खुलने लगी हैं। अब तक 19 विस्थापित परिवार अपने घर लौट चुके हैं। मालदा और मुर्शिदाबाद जिला प्रशासन मिलकर लोगों की सुरक्षित वापसी करवा रहा है।
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शमीम ने कहा- अब तक 210 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। पिता-पुत्र की हत्या मामले में अलग केस दर्ज किया जाएगा और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। वहीं, केंद्र सरकार ने हिंसाग्रस्त इलाकों में 1600 जवान तैनात किए हैं। हिंसाग्रस्त इलाकों में इंटरनेट बैन है। BNS की धारा 163 भी लागू है।
इधर, तृणमूल कांग्रेस (TMC) नेता और पूर्व सांसद कुणाल घोष ने मुर्शिदाबाद हिंसा के पीछे भाजपा और दूसरी राजनीतिक पार्टियों के होने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा- हमें इनपुट मिले हैं कि हिंसा की घटनाओं के पीछे एक बड़ी साजिश थी।
केंद्रीय एजेंसियां, BSF और कुछ राजनीतिक दलों का एक सेक्शन इस साजिश में शामिल था। BSF ने मदद करके उपद्रवियों को राज्य का बॉर्डर पार करवाया। कुछ उपद्रवी मुर्शिदाबाद के इलाके में घुसे, अराजकता फैलाई और BSF ने उन्हें वापस जाने के लिए भी मदद की।
घोष ने आगे कहा- भाजपा ने अपनी सोशल मीडिया पोस्ट में दूसरे राज्यों की तस्वीरों का इस्तेमाल करके उसे मुर्शिदाबाद का बताया। BSF की मदद से बंगाल को बदनाम करने की साजिश है। वे बंगाल के लोगों को भड़काने की कोशिश कर रहे हैं। ताकि भाजपा अपने फायदे के लिए इसका इस्तेमाल कर सके।
सुवेंदु अधिकारी ने NIA जांच की मांग की
पश्चिम बंगाल में नेता विपक्ष सुवेंदु अधिकारी ने कलकत्ता हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। इसमें केंद्रीय बल की तैनाती और हिंसा की जांच NIA से कराने की मांग की गई थी। हाईकोर्ट ने 12 अप्रैल को हिंसाग्रस्त इलाकों में केंद्रीय सुरक्षा बलों की तैनाती के आदेश दिए थे।
जस्टिस सौमेन सेन की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा था- हम उन रिपोर्ट्स पर आंखें मूंद नहीं सकते जो सामने आई हैं। इनमें राज्य के कुछ जिलों में बर्बरता दिखाई देती है। मुर्शिदाबाद के अलावा जहां भी हिंसा नजर आती है, वहां केंद्रीय सुरक्षा बल की तैनाती की जाए।