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श्रीनाथ यूनिवर्सिटी में “समृद्ध एवं महान भारत @ 2047” विषय पर  विशेष सत्र

By Tamishree Mukherjee

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श्रीनाथ यूनिवर्सिटी में "समृद्ध एवं महान भारत @ 2047" विषय पर  विशेष सत्र

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सोशल संवाद / जमशेदपुर : श्रीनाथ यूनिवर्सिटी में “समृद्ध एवं महान भारत @ 2047” विषय पर एक विशेष सत्र का आयोजन किया गया। इस आयोजन का उद्देश्य भारत को 2047 तक आत्मनिर्भर, समृद्ध और सशक्त राष्ट्र बनाने के विज़न पर गहन विचार-विमर्श करना था। कार्यक्रम में शिक्षाविदों, उद्यमियों और स्वदेशी जागरण मंच के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने भाग लिया और अपने विचार साझा किए।

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सत्र के मुख्य अतिथि एवं प्रमुख वक्ता सतीश जी, अखिल भारतीय सह-संगठक, स्वदेशी जागरण मंच रहे। अपने संबोधन में उन्होंने भारत की आर्थिक स्वायत्तता और आत्मनिर्भरता की आवश्यकता को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि स्वदेशी को अपनाने और नवाचार को बढ़ावा देने से ही भारत एक वैश्विक आर्थिक शक्ति बन सकता है। युवाओं को रोजगार खोजने के बजाय उद्यमशीलता के माध्यम से रोजगार सृजन की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए।

इस अवसर पर अमरेंद्र जी (क्षेत्रीय संयोजक, स्वदेशी जागरण मंच), अजय उपाध्याय जी (क्षेत्रीय संगठन, स्वदेशी जागरण मंच), मनोज कुमार सिंह जी (राष्ट्रीय परिषद सदस्य, स्वदेशी जागरण मंच एवं निदेशक, खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग – KVIC) एवं बांदे शंकर सिंह जी (अखिल भारतीय संघर्ष वाहिनी सह प्रमुख, स्वदेशी जागरण मंच) ने भी अपने विचार रखे। उन्होंने भारत के भविष्य को लेकर अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त करते हुए कहा कि युवाओं को नवाचार एवं उद्यमशीलता को अपनाकर देश की प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए।

श्रीनाथ विश्वविद्यालय के कुलाधिपति सुखदेव महतो जी ने अपने उद्यमशीलता के सफर को साझा किया और छात्रों को गपरिश्रम और आत्मनिर्भरता के मूल सिद्धांतों को अपनाने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि शिक्षा केवल नौकरी पाने का साधन नहीं होनी चाहिए, बल्कि छात्रों को ऐसे कौशल से लैस करना चाहिए, जिससे वे रोजगार देने वाले बन सकें।

सत्र के दौरान वक्ताओं ने इस बात पर जोर दिया कि युवा अपने विचारों को सशक्त रूप से क्रियान्वित करें और जोश, मेहनत और तकनीकी कुशलता के साथ आगे बढ़ें। उन्होंने छात्रों को सीखते हुए कमाने की संस्कृति को अपनाने, बड़े सपने देखने और स्वदेशी को प्राथमिकता देने की अपील की।

श्रीनाथ यूनिवर्सिटी में आयोजित इस विशेष सत्र ने छात्रों के भीतर उद्यमशीलता और आत्मनिर्भरता की भावना को सुदृढ़ करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

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