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खनिज संपदा वाली जमीन पर राज्यों को टैक्स लेने का अधिकार, सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

By Tamishree Mukherjee

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सोशल संवाद /डेस्क: सुप्रीम कोर्ट ने खनिजों पर टैक्स वसूलने के 25 साल पुराने मामले में फैसला सुनाया है. CJI डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 9 जजों की बेंच ने 8:1 की बहुमत के साथ राज्यों के हक में फैसला सुनाया है. कोर्ट ने माना है कि खनिजों पर लगने वाली रॉयल्टी को टैक्स नहीं माना जा सकता. इस पूरे मामले में जस्टिस बीवी नागरत्ना ने असहमति जताई. CJI चंद्रचूड़ ने बताया कि बेंच के दो फैसले हैं, CJI समेत 8 जजों ने माना है कि राज्य खनिज भूमि पर टैक्स वसूली का अधिकार रखते हैं. वहीं जस्टिस नागरत्ना ने कहा है कि राज्यों के पास खदानों और खनिज युक्त भूमि पर टैक्स लगाने का कानूनी अधिकार नहीं है.

SC के फैसले की 3 बड़ी बातें :

SC के फैसले में बहुमत की राय है कि रॉयल्टी को टैक्स नहीं माना जा सकता, ये एक कॉन्ट्रैक्चुअल अमाउंट है. कोर्ट ने कहा है कि MMDR अधिनियम में खनिजों पर टैक्स लगाने की राज्य की शक्तियों पर कोई पाबंदी नहीं है. कोर्ट ने माना है कि जब तक संसद कोई लिमिट तय नहीं करती तब तक राज्यों को खनिज भूमि पर टैक्स का अधिकार

SC ने माना-रॉयल्टी टैक्स नहीं है

CJI डी वाई चंद्रचूड़ ने अपना और 7 अन्य जजों का फैसला पढ़ते हुए कहा कि हमारा मानना ​​है कि रॉयल्टी और ऋण किराया दोनों को टैक्स नहीं माना जा सकता. कोर्ट ने रॉयल्टी को टैक्स के तौर पर रखने के इंडिया सीमेंट्स के फैसले को गलत माना है. CJI ने कहा कि रॉयल्टी कोई टैक्स नहीं है, ये एक कॉन्ट्रैक्चुअल अमाउंट है जो पट्टा लेने वाले शख्स/कंपनी पट्टादाता को भुगतान करता है.

खनिज संपदा से समृद्ध राज्यों को राहत

सुप्रीम कोर्ट ने 8:1 के बहुमत से खनिज-युक्त भूमि पर टैक्स लगाने की राज्यों की शक्ति को बरकरार रखा है और माना है कि राज्यों के पास खनिज वाली भूमि पर कर लगाने की क्षमता और शक्ति है. इससे खनिज संपदा से समृद्ध राज्य ओडिशा, झारखंड, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और राजस्थान को बड़ी राहत मिली है. 9 जजों की बेंच में जस्टिस हृषिकेश रॉय, जस्टिस अभय एस ओका, जस्टिस बीवी नागरत्ना, जस्टिस जेबी पारदीवाला, जस्टिस मनोज मिश्रा, जस्टिस उज्जल भुइयां, जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज शामिल थे.

25 साल पुराने मामले में फैसला

1989 में तमिलनाडु सरकार बनाम इंडिया सीमेंट्स लिमिटेड केस में सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की संवैधानिक पीठ ने कहा था कि खनिजों पर रॉयल्टी एक तरह का टैक्स ही है. बहुमत के इस फैसले के खिलाफ खनिज कंपनियों और अलग-अलग सरकारों की ओर से सुप्रीम कोर्ट करीब 85 याचिकाएं लगाई गई थीं. जिस पर कोर्ट ने आज अपना ये महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है.

9 जजों की बेंच में कब और क्यों पहुंचा मामला?

बीते 14 मार्च को 8 दिन की सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुरक्षित रखा लिया था. मामले को साल 2011 में SC की 9 जजों की बेंच को भेजा गया था. 3 जजों की बेंच ने 9 जजों की बेंच को भेजे जाने के लिए 11 सवाल तैयार किए थे, इनमें टैक्स कानून से जुड़े महत्वपूर्ण सवाल शामिल थे. इससे पहले 2004 में सुप्रीम कोर्ट में पश्चिम बंगाल बनाम केसोराम इंडस्ट्रीज लिमिटेड मामले की सुनवाई हुई, इस दौरान 5 जजों की बेंच ने कहा कि 1989 में सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला सुनाया था, उसे गलत समझा गया. कोर्ट ने कहा कि रॉयल्टी टैक्स नहीं है. 1989 और 2004 के अलग-अलग फैसले विरोधाभासी थे जिसकी वजह से 3 जजों की बेंच ने इसे सीधे 9 जजों की बेंच में भेजा था.

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