धर्म

इस मंदिर में हर धर्म के लोगो को मिलती है entry,पर यहाँ नहीं है कोई मूर्ति न होती है पूजा

सोशल संवाद / डेस्क : देश में कई ऐसे मंदिर हैं जिनका अपना विशेष महत्त्व है। वहाँ स्थापित देवी – देवता उस मंदिर के रहस्य और आध्यत्मिकता का एक महत्वपूर्ण कारण है। इसी वजह से वो मंदिर प्रसिद्ध भी है।  पर हमारे देश में एक मंदिर ऐसा भी है जिसमे ना तो कोई  मूर्ति है और न ही यहां पूजा-पाठ होती है। लेकिन यहाँ शांति और सुकून का अनुभव होता है। इस मंदिर को देखने लोग भारत और दुनिया के कोने-कोने से आते रहते हैं। ये है दिल्ली का लोटस टेम्पल।

दक्षिणी दिल्ली के नेहरू प्लेस स्थित लोटस टेंपल का निर्माण 24 दिसंबर 1986 में हुआ था और यह दुनिया में सबसे ज्यादा देखी जाने वाली जगहों में से एक है। संगमरमर की 27 पंखुड़ियों से बने मंदिर के नौ पक्ष हैं, जो तीन के समूहों में व्यवस्थित हैं। नौ दरवाजे एक केंद्रीय प्रार्थना कक्ष की ओर ले जाते हैं। जिसकी क्षमता 2500 लोगों की है और जमीन से मंदिर की ऊंचाई 34. 27 मीटर। उस समय इस मंदिर को बनवाने में 1 करोड़ डॉलर की लागत आई थी। 

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इसकी वास्तु कला यहां पर आने वाले लोगों को लुभाती है। इस मंदिर को ईरानी वास्तुकार फरीबोर्ज़ सहबा ने कमल के आकार में डिजाइन किया था। गंगा जमुनी तहजीब की तर्ज पर यह मंदिर हिंदू और बौद्ध धर्म सहित सभी धर्मों के लिए बनाया गया है। बहाई समुदाय के मुताबिक, ईश्वर एक है और उसके रूप अनेक हो सकते हैं।  कहने के लिए यह मंदिर है, लेकिन लोगों को इसका वास्तु लुभाता है। इसकी कई खूबियों में से एक यह है कि मंदिर में पर्यटकों के लिए धार्मिक पुस्तकों को पढ़ने के लिए लाइब्रेरी और आडियो-विजुअल रूम भी बने हुए हैं। मंदिर का उसके काम के लिए कई अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार भी मिले हैं, जिसमें ग्लोबआर्ट अकादमी, इंस्टीट्यूशन ऑफ स्ट्रक्चरल इंजीनियर्स और बहुत कुछ शामिल हैं।

मंदिर के केंद्रीय कक्ष में 2500 लोगों के बैठने की क्षमता है। वहीं, हाल का केंद्र 40 फीट लंबा है, जिसकी आंतरिक साज सजावट बेहद खूबसूरती से की गई है। कमल मंदिर को तालाबों और पार्क से सजाया गया है। मंदिर के निर्माण में तकरीबन 10,000 विभिन्न आकार के मार्बल का इस्तेमाल हुआ है। 

आपको बता दें कि सेंट्रल हॉल के अंदर का फर्श भी मार्बल से बना है। यहां इस्तेमाल किया गया संगमरमर ग्रीस के पेंटेली पर्वत का है। उसी संगमरमर का उपयोग करके कई अन्य बहाई पूजा घर बनाए गए थे। लोटस टेंपल का प्रवेश द्वार भी तालाबों और बगीचों के साथ मंदिर के द्वार पर आपका स्वागत करते हुए बहुत ही मनमोहक है। यह कैंपस 26 एकड़ में पसरा है।

यहां प्रतिदिन चार प्रार्थना सभाओं का आयोजन किया जाता है।पहली सभा सुबह 10 बजे होती है, जबकि दोपहर की सभा 12 बजे, अपराह्न की सभा 3 बजे और फिर सान्ध्य सभा 5 बजे होती है। इस प्रार्थना सभा के दौरान 10 मिनट तक विधि का पाठ गान किया जाता है। इन ईश्वरीय शब्दों के सम्मान में कृष्णा प्रार्थना सभा के दौरान अपनी जगहों पर बैठ लोग प्रार्थना करते हैं।

आपको बता दे लोटस टेंपल को दिल्ली का एक शानदार पर्यटक स्थल माना जात है। यहां प्रवेश निःशुल्क है यानी यहां फ्री में घूम सकते हैं।  अक्टूबर से मार्च में सुबह 9:30 से शाम 5:30 बजे तक खुला रहता है और अप्रैल से सितंबर में यह सुबह 9:30 से शाम 7:00 बजे तक खुला रहता है। और सोमवार को बंद रहता है।

Tamishree Mukherjee
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