सोशल संवाद / डेस्क : ओडिशा में एक शिक्षक द्वारा यौन शोषण के खिलाफ आवाज उठाने वाली एक बहादुर छात्रा की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई है। न्याय मिलने के बजाय, उसे लगातार धमकियों और उत्पीड़न का सामना करना पड़ा, जिससे राज्य व्यवस्था और सरकारी जवाबदेही पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।
स्थानीय सूत्रों और परिजनों के अनुसार, छात्रा पर आरोपियों को बचाने का दबाव बनाया जा रहा था। इतना ही नहीं, स्कूल प्रबंधन और कुछ अधिकारियों पर शिकायत दबाने की कोशिश करने का आरोप है। छात्रा ने कई बार मदद की गुहार लगाई, लेकिन उसे सिर्फ अपमान और उपेक्षा ही मिली।
इन परिस्थितियों में, छात्रा ने खुद को आग लगा ली, जिसके बाद उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया। लेकिन कई दिनों तक ज़िंदगी और मौत की जंग लड़ने के बाद उसकी मौत हो गई।
इस दुखद घटना के बाद, विपक्षी दलों ने राज्य और केंद्र सरकार, दोनों की कड़ी आलोचना की है। कांग्रेस और अन्य ने दावा किया, “यह आत्महत्या नहीं, बल्कि एक सुनियोजित, संगठित हत्या है।” उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुप्पी की भी निंदा की और इसे शर्मनाक बताया, जबकि देश की बेटियाँ ओडिशा और मणिपुर जैसे राज्यों में क्रूरता का सामना कर रही हैं।
अब सवाल उठता है – क्या इस बहादुर बेटी को न्याय मिलेगा? और क्या सिस्टम में बैठे लोग दोषियों को बचाने की बजाय बेटियों की सुरक्षा को प्राथमिकता देंगे? देश की निगाहें अब सरकार की अगली कार्रवाई पर टिकी हैं।