January 22, 2025 2:20 pm

सुप्रीम कोर्ट बोला- सेक्स एजुकेशन वेस्टर्न कांसेप्ट नहीं:भारत में इसकी शिक्षा बेहद जरूरी, इससे यूथ में अनैतिकता नहीं बढ़ती

सोशल संवाद / डेस्क: सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले में कहा कि सेक्स एजुकेशन को वेस्टर्न कांसेप्ट मानना गलत है। इससे यूथ में अनैतिकता नहीं बढ़ती है। इसलिए भारत में इसकी शिक्षा बेहद जरूरी है।

कोर्ट ने कहा लोगों का मानना है कि सेक्स एजुकेशन भारतीय मूल्यों के खिलाफ है। इसी वजह से कई राज्यों में यौन शिक्षा को बैन कर दिया गया है। इसी विरोध की वजह से युवाओं को सटीक जानकारी नहीं मिलती। फिर वे इंटरनेट का सहारा लेते हैं, जहां अक्सर भ्रामक जानकारी मिलती है।

CJI डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने मद्रास हाईकोर्ट के एक फैसले को खारिज करते हुए यह टिप्पणी की। कोर्ट ने सोमवार को कहा कि चाइल्ड पोर्नोग्राफी डाउनलोड करना और देखना POCSO और IT एक्ट के तहत अपराध है।

दरअसल, मद्रास हाईकोर्ट ने कहा था कि अगर कोई ऐसा कंटेंट डाउनलोड करता और देखता है, तो यह अपराध नहीं, जब तक कि नीयत इसे प्रसारित करने की न हो।

सुप्रीम कोर्ट के 4 बड़े स्टेटमेंट …

  • एक रिसर्च से पता चला है कि सही सेक्स एजुकेशन देना जरूरी है। महाराष्ट्र में 900 से ज्यादा किशोरों पर किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि जिन छात्रों को प्रजनन और यौन स्वास्थ्य की सही जानकारी नहीं थी। उनमें जल्दी यौन संबंध बनाने की संभावना ज्यादा थी।
  • यह बहुत जरूरी है कि हम सेक्स एजुकेशन के बारे में गलत धारणाओं को दूर करना शुरू करें। इसके फायदों के बारे में सभी को सही जानकारी दें, ताकि हम सेक्स हेल्थ के नतीजों को बेहतर बना सकें।
  • बच्चों के खिलाफ अपराध सिर्फ यौन शोषण तक ही सीमित नहीं रहते हैं। उनके वीडियो, फोटोग्राफ और रिकॉर्डिंग के जरिए ये शोषण आगे भी चलता है। ये कंटेंट साइबर स्पेस में मौजूद रहते हैं, आसानी से किसी को भी मिल जाते हैं। ऐसे मटेरियल अनिश्चितकाल तक नुकसान पहुंचाते हैं। ये यौन शोषण पर ही खत्म नहीं होता है, जब-जब ये कंटेंट शेयर किया जाता है और देखा जाता है, तब-तब बच्चे की मर्यादा और अधिकारों का उल्लंघन होता है। हमें एक समाज के तौर पर गंभीरता से इस विषय पर विचार करना होगा।
  • हम संसद को सुझाव देते हैं कि POCSO एक्ट में बदलाव करें और इसके बाद चाइल्ड पोर्नोग्राफी शब्द की जगह चाइल्ड सेक्शुअली एब्यूसिव एंड एक्सप्लॉइटेटिव मटेरियल (CSEAM) का इस्तेमाल किया जाए। इसके लिए अध्यादेश भी लाया जा सकता है। CSEAM शब्द सही तरीके से बताएगा कि यह महज अश्लील कंटेंट नहीं, बच्चे के साथ हुई घटना का एक रिकॉर्ड है। वो घटना जिसमें बच्चे का यौन शोषण हुआ या फिर ऐसे शोषण को विजुअली दिखाया गया हो।
Print
Facebook
Twitter
Telegram
WhatsApp
Paracetamol से होने वाले नुकसान ठंडे पानी से मुंह धोने के फायदे किन राज्यों में लागू है पेसा कानून 2024 के सबसे ज्यादा सुने गए गाने जाने कितनी बार कर सकते हैं आधार अपडेट हमेशा नीली पगड़ी क्यों पहनते थे मनमोहन सिंह Black Forest Cake का नाम Black Forest कैसे पड़ा ? क्या है Tesla car की खासियत sugar बढ़ने के लक्षण Keyboards पर QWERTY क्रम में क्यों रहते हैं अक्षर