सोशल संवाद / डेस्क: सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले में कहा कि सेक्स एजुकेशन को वेस्टर्न कांसेप्ट मानना गलत है। इससे यूथ में अनैतिकता नहीं बढ़ती है। इसलिए भारत में इसकी शिक्षा बेहद जरूरी है।
कोर्ट ने कहा लोगों का मानना है कि सेक्स एजुकेशन भारतीय मूल्यों के खिलाफ है। इसी वजह से कई राज्यों में यौन शिक्षा को बैन कर दिया गया है। इसी विरोध की वजह से युवाओं को सटीक जानकारी नहीं मिलती। फिर वे इंटरनेट का सहारा लेते हैं, जहां अक्सर भ्रामक जानकारी मिलती है।
CJI डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने मद्रास हाईकोर्ट के एक फैसले को खारिज करते हुए यह टिप्पणी की। कोर्ट ने सोमवार को कहा कि चाइल्ड पोर्नोग्राफी डाउनलोड करना और देखना POCSO और IT एक्ट के तहत अपराध है।
दरअसल, मद्रास हाईकोर्ट ने कहा था कि अगर कोई ऐसा कंटेंट डाउनलोड करता और देखता है, तो यह अपराध नहीं, जब तक कि नीयत इसे प्रसारित करने की न हो।
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