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सुशांत सिंह राजपूत की बहन दिव्या गौतम उतरेंगी चुनावी मैदान में, दीघा सीट से आजमाएंगी किस्मत

By Muskan Thakur

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सुशांत सिंह राजपूत की बहन दिव्या गौतम उतरेंगी चुनावी मैदान में, दीघा सीट से आजमाएंगी किस्मत

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सोशल संवाद/डेस्क : बिहार विधानसभा चुनाव का माहौल गर्म है और सभी राजनीतिक दल अपने उम्मीदवारों के नामों की घोषणा में जुटे हुए हैं। इस बीच दिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की बहन **दिव्या गौतम** भी राजनीति में कदम रखने जा रही हैं। दिव्या को **भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन (CPI-ML)** ने उम्मीदवार के रूप में चुना है। वे **दीघा विधानसभा सीट** से चुनाव लड़ेंगी और बुधवार को अपना नामांकन दाखिल करेंगी।

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यह कदम न केवल राजनीतिक रूप से दिलचस्प है, बल्कि भावनात्मक रूप से भी चर्चा का विषय बन गया है। दिव्या ने अपने भाई सुशांत को याद करते हुए कहा कि वे उनके जीवन की सबसे बड़ी प्रेरणा हैं और उनके आदर्शों को आगे बढ़ाने की कोशिश करेंगी।

दिव्या गौतम का परिचय

दिव्या गौतम का संबंध बिहार की राजधानी **पटना** से है। उन्होंने **पटना विश्वविद्यालय** से मास कम्युनिकेशन में स्नातकोत्तर किया और लगभग ढाई वर्षों तक **पटना महिला कॉलेज** में सहायक प्रोफेसर के रूप में कार्य किया। कॉलेज के दिनों से ही वे राजनीति और सामाजिक कार्यों में सक्रिय रही हैं।

छात्र राजनीति में दिव्या ने **अखिल भारतीय छात्र संघ (आइसा)** के तहत काम किया, जो **भाकपा (माले)** की छात्र शाखा है। साल 2012 में उन्होंने **पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव** में अध्यक्ष पद के लिए उम्मीदवार के रूप में हिस्सा लिया और दूसरे स्थान पर रहीं।

बाद में उन्होंने **64वीं बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC)** परीक्षा उत्तीर्ण की और **बिहार सरकार में आपूर्ति निरीक्षक** के रूप में नियुक्त हुईं। हालांकि, सरकारी नौकरी के बावजूद उन्होंने सामाजिक कार्य को प्राथमिकता दी और नौकरी छोड़कर **शोध कार्य और सामाजिक सरोकारों** में अपना ध्यान केंद्रित किया।

वर्तमान में दिव्या एक **पीएचडी स्कॉलर** हैं और उन्हें **जूनियर रिसर्च फेलो (JRF)** की योग्यता प्राप्त है।

भाकपा (माले) की रणनीति और बिहार में भूमिका

भाकपा (माले) लिबरेशन इस बार भी बिहार के **महागठबंधन** का हिस्सा है, जिसमें **राष्ट्रीय जनता दल (राजद)** और **कांग्रेस** जैसी प्रमुख पार्टियां शामिल हैं। भले ही सीट-बंटवारे को लेकर औपचारिक घोषणा नहीं हुई है, लेकिन भाकपा (माले) ने अपने कुछ क्षेत्रों में उम्मीदवारों के नाम तय कर दिए हैं।

दीघा विधानसभा सीट राजधानी पटना की एक अहम सीट मानी जाती है, जहां से दिव्या गौतम को टिकट देना पार्टी के लिए रणनीतिक कदम माना जा रहा है। पार्टी को उम्मीद है कि दिव्या जैसी शिक्षित और सामाजिक रूप से सक्रिय चेहरा मतदाताओं में भरोसा जगाएगा।

वहीं दूसरी ओर, वामपंथी खेमे की अन्य पार्टी **माकपा (CPM)** ने भी अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। माकपा के विधायक **अजय कुमार** और **सत्येंद्र यादव** क्रमशः 14 और 18 अक्टूबर को नामांकन दाखिल करेंगे।

सुशांत की याद में भावुक हुईं दिव्या

दिव्या गौतम ने मीडिया से बातचीत में बताया कि उनका राजनीति में आने का फैसला समाज के प्रति उनकी जिम्मेदारी की भावना से प्रेरित है। उन्होंने कहा,

  “भैया (सुशांत सिंह राजपूत) हमेशा कहते थे कि अगर आपमें बदलाव लाने की शक्ति है, तो उसका इस्तेमाल करना चाहिए। मैं उसी सोच के साथ आगे बढ़ना चाहती हूं।”

दिव्या ने स्वीकार किया कि राजनीति का रास्ता आसान नहीं है, लेकिन वे अपने भाई की तरह सकारात्मक ऊर्जा और मेहनत से इसे पार करने को तैयार हैं। इस दौरान वे भावुक हो गईं और कहा कि सुशांत आज होते तो उन्हें देखकर गर्व महसूस करते।

एनडीए की तैयारी और सीट बंटवारा

दूसरी तरफ, **राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए)** ने भी सीटों का बंटवारा लगभग तय कर लिया है। भाजपा **243 विधानसभा सीटों में से 101 सीटों** पर चुनाव लड़ेगी, जबकि मुख्यमंत्री **नीतीश कुमार की जदयू** को आनुपातिक हिस्सेदारी के तहत अगला बड़ा हिस्सा दिया गया है।

इसके अलावा **लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास)** को **29 सीटें**, **राष्ट्रीय लोक मोर्चा (उपेंद्र कुशवाहा)** और **हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (जीतन राम मांझी)** को **6-6 सीटें** दी गई हैं।

एनडीए और महागठबंधन दोनों ही गठबंधन अब अंतिम चरण की तैयारियों में हैं और प्रचार अभियान को तेज कर चुके हैं।

दिव्या की एंट्री से बिहार चुनाव में नया मोड़

सुशांत सिंह राजपूत की बहन दिव्या गौतम का राजनीति में उतरना इस बार के बिहार चुनाव की सबसे चर्चित घटनाओं में से एक बन गया है। एक ओर जहां उनका पारिवारिक जुड़ाव लोगों में भावनात्मक प्रतिक्रिया पैदा कर रहा है, वहीं दूसरी ओर उनकी शिक्षा, शोध और सामाजिक कार्यों की पृष्ठभूमि उन्हें गंभीर उम्मीदवार के रूप में पेश करती है।

अब देखना दिलचस्प होगा कि दिव्या का यह नया राजनीतिक सफर उन्हें कितनी सफलता दिला पाता है और क्या वे अपने भाई की तरह लोगों के दिलों में जगह बना पाएंगी।

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