सोशल संवाद/डेस्क:भारतीय रिजर्व बैंक ने मोनेटरी पॉलिसी कमेटी की बैठक के बाद रेपो रेट को 0.50% घटा दिया है. RBI ने फरवरी और अप्रैल का मौद्रिक नीति समीक्षा के दौरान भी रेपो रेट में 0.25% की कटौती की थी और इसे 6.50 प्रतिशत से 6 प्रतिशत पर लाया गया था।
यह 50 आधार अंकों की बड़ी कटौती देश की अर्थव्यवस्था को गति देने की मंशा से की गई है. इसके साथ ही केंद्रीय बैंक ने नीतिगत रुख को ‘अकोमोडेटिव’ से बदलकर ‘न्यूट्रल’ कर दिया है, जिससे संकेत मिलता है कि अब आरबीआई मुद्रास्फीति और विकास दोनों पर समान रूप से नजर रखेगा।
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RBI ने नकद आरक्षित अनुपात (CRR) में भी 100 आधार अंकों की कटौती की घोषणा की है, जो चार समान किस्तों (6 सितंबर, 4 अक्टूबर, 1 नवंबर और 29 नवंबर) में लागू होगी। इस कदम से बैंकिंग प्रणाली में लगभग 2.5 लाख करोड़ रुपए की अतिरिक्त लिक्विडिटी आने की उम्मीद है, जिससे क्रेडिट फ्लो में तेजी आएगी।
नीतिगत दरों में कटौती से बैंक ऋण पर ब्याज दरों में कमी आती है. इससे आम उपभोक्ताओं और व्यापार जगत के लिए उधारी सस्ती होती है. इससे खपत और निवेश को बढ़ावा मिलने की संभावना है। हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि इसका असल लाभ इस बात पर निर्भर करेगा कि बैंक कितनी जल्दी और प्रभावी रूप से यह कटौती ग्राहकों तक पहुंचाते हैं।
गवर्नर मल्होत्रा ने बताया कि देश में व्यापक स्तर पर कीमतों में नरमी देखी गई है. वर्तमान मुद्रास्फीति दर घटकर 3.2 प्रतिशत पर आ गई है. साथ ही आरबीआई ने अपने पूर्वानुमान को 4 प्रतिशत से घटाकर 3.7 प्रतिशत कर दिया है. कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट और खाद्य आपूर्ति बेहतर रहने से मुद्रास्फीति के दबाव में और राहत की उम्मीद जताई गई है.
RBI ने वित्त वर्ष 2026 के लिए जीडीपी वृद्धि दर अनुमान को 6.5 प्रतिशत पर स्थिर रखा है. तिमाही दरें इस प्रकार अनुमानित हैं—Q1 में 6.5%, Q2 में 6.7%, Q3 में 6.6% और Q4 में 6.3%. गवर्नर ने यह भी कहा कि भारत वैश्विक स्तर पर अब भी सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था है. देश की कॉरपोरेट, बैंक और सरकारी बैलेंस शीट सुदृढ़ बनी हुई हैं, और बाह्य क्षेत्र स्थिर है. इन सब कारणों से भारत घरेलू और विदेशी निवेशकों के लिए आकर्षक गंतव्य बना हुआ है.