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तमिलनाडु के विकास का नया अध्याय पांबन ब्रिज: तमिलनाडु के विकास का नया अध्याय

By Riya Kumari

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New dawn of faith and economy in Rameswaram

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सोशल संवाद / डेस्क : काशी तमिल संगमम के जरिए 2022 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जो सपना देखा था, उसके नए अध्याय की शुरुआत उन्होंने रामेश्वरम में नवनिर्मित पांबन ब्रिज को देश को समर्पित करने के साथ की है। 6 अप्रैल को जब भारतीय महाद्वीप पर सूर्य की पहली किरण ने हिंद महासागर के किनारे पांव पखारेगी, रामेश्वरम में उम्मीदों का एक नया प्रभात होगा। एक काशीवासी, जब तमिलनाडु का ख्याल करता है, उसे सबसे पहले श्री रामेश्वरम का ख्याल आता है। यही जुड़ाव काशी तमिल संगमम रूपी स्वप्न का आधार बन जाता है।

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काशी में विश्वनाथ कॉरिडोर, अयोध्या में राम मंदिर और रामेश्वरम में पांबन ब्रिज के साथ प्रधानमंत्री मोदी ने Gen-Z के मन मस्तिष्क में आस्था की नई लगन लगाई है। ये पीढ़ी किसी मल्टीनेशनल कंपनी में सिर खपाने के बाद वीकेंड पर बाबा केदार के दर्शन को निकल पड़ती है। ये आर्थिक विकास के साथ अपनी आस्था और परंपराओं को सेलिब्रेट करने वाली पीढ़ी है, जिसे अपनी भावनाओं को दुनिया के साथ साझा करने में हिचक नहीं है। इसी आस्था और आर्थिकी के बीच सेतु बनी विचारधारा के नायक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हैं, जिन्हें Gen-Z ने अपना वटवृक्ष माना है। विगत 11 वर्षों में भरोसे के इस रिश्ते ने कश्मीर से कन्याकुमारी तक हर बार खुद को साबित किया है।

नया पांबन ब्रिज रामेश्वरम् में धार्मिक पर्यटन के साथ आर्थिक विकास को नए पंख देने वाला है। यह भारत का पहला वर्टिकल लिफ्ट रेलवे समुद्री पुल है, जिसकी लंबाई लगभग 2.8 किमी है और इसे 535 करोड़ रुपये की लागत से बनाया गया है, जो रामेश्वरम द्वीप को मुख्य भूमि से जोड़ता है। नया पुल समुद्र तल से 22 मीटर ऊंचा है और इसके जरिए ट्रेनों को समुद्र पार करने में 5 मिनट से भी कम समय लगेगा, जबकि पहले इस सफर में 25 से 30 मिनट लगता था। रामेश्वरम में हर साल लाखों श्रद्धालु रामनाथस्वामी मंदिर में दर्शन के लिए पहुंचते हैं। नया पुल और बेहतर रेल सुविधाएं तीर्थयात्रियों की संख्या बढ़ाएंगी, जिससे पर्यटन से जुड़े व्यवसायों (जैसे होटल, दुकानें, और परिवहन) को सीधे फायदा होगा।

भाषा, क्षेत्रीयता के मुकाबले विकास का परचम

तमिलनाडु सरकार भाषा और क्षेत्रीय अस्मिता को हवा देने में जुटी है, वह नई शिक्षा नीति को लेकर भी केंद्र सरकार के साथ भिड़ी हुई है। इस लहर के खिलाफ प्रधानमंत्री विकास का परचम लहराते हुए आगे बढ़ते जा रहे हैं। प्रधानमंत्री के राजनीतिक दृष्टिकोण में “विकास” की केंद्रीय भूमिका रही है, और पांबन ब्रिज जैसे बड़े इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट का पूरा होना, उनके व्यक्तिगत मार्गदर्शन के बिना संभव नहीं था। ये उनकी प्रतिबद्धता है कि 2019 में प्रोजेक्ट का शिलान्यास करने के बाद अब वे उद्घाटन करने जा रहे हैं। यह प्रोजेक्ट दिखाता है कि उनकी सरकार राज्य के विकास के लिए कितना प्रतिबद्ध है। ऐसे में पांबन ब्रिज, तमिलनाडु में आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए एक नए उत्प्रेरक के तौर पर काम कर सकता है। इस ब्रिज से मछुआरा समुदाय, व्यापारियों और पर्यटन उद्योग को सीधा फायदा होगा। बेहतर कनेक्टिविटी से माल ढुलाई और लोगों की आवाजाही बढ़ेगी और स्थानीय अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा।

इस प्रोजेक्ट से स्थानीय लोगों को आजीविका के स्तर पर सीधा लाभ मिलने की उम्मीद है। द्रविड़ राज्य के तटीय इलाकों का ये ‘लाभार्थी वर्ग’ देख रहा है कि प्रधानमंत्री मोदी की पहल से उसका जीवन बदलने वाला है। “सबका साथ, सबका विकास” का यह विज़न तमिलनाडु के ग्रामीण और तटीय इलाकों में प्रधानमंत्री के प्रभुत्व को स्थापित करता है। भाषा, क्षेत्रीय अस्मिता और द्रविड़ राजनीति के प्रभुत्व वाले तमिलनाडु में प्रधानमंत्री ने विकास का नैरेटिव खड़ा किया है। जो स्थानीय जरूरतों और तमिल गौरव और संस्कृति के सम्मान से जुड़ा है।

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