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शहर में पर्यावरण के साथ विकास का माॅडल पेश कर रही टाटा स्टील, पौधरोपण, ऊर्जा संरक्षण के ठोस उपायों से शहर में फैली है हरियाली

By Tamishree Mukherjee

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शहर में पर्यावरण के साथ विकास का माॅडल पेश कर रही टाटा स्टील, पौधरोपण

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सोशल संवाद / जमशेदपुर : एक ओर जहाँ पूरी दुनिया जलवायु परिवर्तन और सतत विकास लक्ष्यों की दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रही है, वहीं जमशेदपुर एक अलग ही कहानी की मिसाल पेश करती है। भारत का पहला योजनाबद्ध औद्योगिक नगर होने के साथ-साथ, जमशेदपुर न केवल इस्पात उद्योग की आधारशिला रही है, बल्कि यह एक ऐसे दूरदर्शी संगठन टाटा स्टील के साथ कदम से कदम मिलाकर विकसित हुई है, जिसने शहर के विकास में अहम भूमिका निभाई है।

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झारखंड के दिल में, जहाँ कभी धुएं की चिमनियाँ नजर आती थीं, अब हरियाली, सोलर पैनल, पुनरुद्धार की गई झीलें और बिना कचरे वाले मोहल्ले एक नई कहानी कह रहे हैं।  औद्योगिक प्रगति और पारिस्थितिक जिम्मेदारी न केवल एक-दूसरे के अनुकूल हैं, बल्कि एक-दूसरे से जुड़े हुए भी हैं।

जून महीने को कंपनी कार्बन न्यूट्रलिटी, कचरे के पुनः उपयोग, जैव विविधता संरक्षण, और सामुदायिक सशक्तिकरण पर केंद्रित है। टाटा स्टील की पर्यावरणीय यात्रा के केंद्र में उसका प्रमुख जमशेदपुर प्लांट है, जो दशकों से नवाचार का केंद्र रहा है। साल 2021 में, टाटा स्टील ने यहां कार्बन कैप्चर यूनिट (सीसीयू) स्थापित की, जो ब्लास्ट फर्नेस से प्रतिदिन 5 टन कार्बन डायआॅक्साइड को सीधे कैप्चर करने में सक्षम है। यह स्टील उद्योग के लिए वैश्विक स्तर पर पहली पहल थी और यह टाटा स्टील की लीनियर से सर्कुलर कार्बन इकॉनमी की ओर प्रतिबद्धता का प्रतीक है।

नवीकरणीय ऊर्जा पर टाटा स्टील ने टाटा पावर के सहयोग से कंपनी 41 मेगावॉट का सौर ऊर्जा प्रोजेक्ट विकसित कर रही है, जिसमें से लगभग 22 मेगावाट की क्षमता जमशेदपुर को रूफटॉप, ग्राउंड-माउंटेड और फ्लोटिंग सोलर इंस्टॉलेशन के ज़रिए बिजली देगी। यह बदलाव न केवल स्टील उत्पादन से होने वाले कार्बन उत्सर्जन को कम करता है, बल्कि शहर की ऊर्जा आपूर्ति को विविध बनाकर जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने की दिशा में भी एक अहम कदम है।

जहाँ अधिकांश कंपनियाँ औद्योगिक प्रक्रियाओं से उत्पन्न कचरे के निपटान के लिए जूझती हैं, वहीं टाटा स्टील ने इसे एक अवसर में बदल दिया है। कंपनी का अपसाइकलिंग सेंटर जो कदमा में टाटा स्टील यूटिलिटीज एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर सर्विसेज लिमिटेड  द्वारा संचालित है — संसाधनशीलता का बेहतरीन उदाहरण है। यहाँ फेंके गए कपड़ों से पुन: प्रयोग योग्य थैले बनाए जाते हैं, पुराने जूते मरम्मत कर ज़रूरतमंदों को दिए जाते हैं, और प्लास्टिक कचरे को मजबूत पेवर ब्लॉक्स और सार्वजनिक उपयोग की डस्टबिन में रूपांतरित किया जाता है।

शहरी जलाशयों का पुनर्जीवन अब तक 50 एकड़ से अधिक क्षेत्र को सक्रिय जल भंडारण क्षेत्र में बदला जा चुका है, जिससे अब तक 500 मिलियन लीटर अतिरिक्त जल संग्रहण क्षमता जुड़ चुकी है। सीआरएम बारा तालाब पौंड और आई एस डब्ल्यू पी पौंड जैसे सिग्नेचर प्रोजेक्ट आज पर्यावरण पुनर्स्थापन के जीवंत उदाहरण बन चुके हैं। वित्त वर्ष 2020 से 2025 के बीच 7.45 लाख से अधिक पौधे लगाए जा चुके हैं , जो मूल लक्ष्य से करीब 65,000 अधिक हैं। इसके साथ ही जमशेदपुर की हरियाली लगातार बढ़ती जा रही है। सिर्फ वृक्षारोपण ही नहीं, पार्कों और मनोरंजन स्थलों का भी कायाकल्प हुआ है।

अब तक 151 एकड़ क्षेत्र को विकसित किया गया है, जिसमें जेएमडी इको पार्क, कदमा बायोडायवर्सिटी पार्क और जमशेदपुर नेचर ट्रेल जैसे प्रमुख स्थल शामिल हैं। दलमा व्यूपॉइंट का रूपांतरण, जो कभी एक ठोस कचरा स्थल था, अब एक सजीव और समृद्ध पर्यावरणीय स्थल बन चुका है। ऊर्जा के क्षेत्र में, टाटा स्टील कॉरपोरेट सर्विसेज ने प्रमुख स्थलों पर रूफटॉप सोलर सिस्टम्स को स्थापित किया है, जो उनकी लगभग 90 प्रतिशत ऊर्जा जरूरतों को पूरा करते हैं। 

वर्तमान में लगभग 25 बायोगैस यूनिट्स लागू की जा चुकी हैं, जो व्यक्तिगत, सामुदायिक और शहरी स्तर पर ऊर्जा उत्पादन की जरूरतों को पूरा कर रही हैं। यह पहल अब स्थानीय रेस्तरां, होटल और स्कूल कैंटीनों में तेजी से लोकप्रिय हो रही है, जहां वे भोजन के अपशिष्ट को जड़ से कम करने में सक्रिय रूप से भाग ले रहे हैं।

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