सोशल संवाद/डेस्क : पश्चिम बंगाल में शिक्षक भर्ती घोटाले में नौकरी गंवा चुके टीचर्स और नॉन टीचिंग स्टाफ ने गुरुवार को उनके खिलाफ पुलिस कार्रवाई के विरोध में भूख हड़ताल करने का ऐलान किया। टीचर्स बुधवार रात से ही पश्चिम बंगाल स्कूल सर्विस कमिशन (WBSSC) के कार्यालय के बाहर प्रदर्शन कर रहें है। इससे पहले टीचर्स ने डिस्ट्रिक्ट इंसपेक्टर (डीआई) के कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया था। जहां प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर लाठीचार्ज और लात-घूसों से पीटने का आरोप लगाया था।
इधर, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने 8 अप्रैल को 25 हजार 753 टीचर्स और नॉन टीचिंग स्टाफ की नियुक्ति रद्द करने के मामले में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को चिट्ठी लिखी। इसमें उन्होंने राष्ट्रपति से मांग की है कि जो लोग निर्दोष हैं, उन्हें नौकरी में बने रहने देना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट में इसी मामले में 8 अप्रैल को सुनवाई हुई। कोर्ट ने स्कूल कर्मचारियों के लिए अतिरिक्त पदों को बढ़ाने को लेकर पश्चिम बंगाल कैबिनेट के फैसले की CBI जांच पर रोक लगा दी थी। हालांकि कोर्ट ने मामले में जांच जारी रखने की बात कही।
ममता – कोर्ट के आदेश से बंधे हुए हैं
मामले में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 7 अप्रैल को उन शिक्षकों और स्टाफ से मुलाकात की थी, जिनकी भर्ती सुप्रीम कोर्ट ने निरस्त कर दी है। ममता बनर्जी ने कहा कि हम कोर्ट के आदेश से बंधे हुए हैं। यह फैसला उन कैंडिडेट्स के लिए अन्याय है, जो काबिल शिक्षक थे।
उन्होंने कहा- आप लोग यह मत समझिए कि हमने फैसले को स्वीकार कर लिया है। हम पत्थरदिल नहीं हैं। मुझे ऐसा कहने के लिए जेल भी डाल सकते हैं, लेकिन मुझे फर्क नहीं पड़ता है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद पश्चिम बंगाल BJP ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के इस्तीफे और जेल भेजने की मांग की है।

भाजपा बोली- 21 अप्रैल को सचिवालय मार्च करेंगे
पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने मामले में मुख्यमंत्री को दोषी ठहराया है। उन्होंने कहा- कई मौके मिलने के बावजूद सरकार ने सुप्रीम कोर्ट की मांगी गई सूची नहीं दी।
राज्य सरकार 15 अप्रैल तक सूची जमा कर सकती है। ऐसा न होने पर हम 21 अप्रैल को एक लाख लोगों के साथ नबन्ना तक मार्च करेंगे। यह एक गैर-राजनीतिक, लोगों का आंदोलन होगा।
वहीं, भाजपा सांसद और कलकत्ता हाईकोर्ट के पूर्व जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय ने कहा- सरकार ने अगर पिछले आदेश को स्वीकार कर लिया होता तो 19 हजार शिक्षकों की नौकरी नहीं जाती।