सोशल संवाद / डेस्क : श्रीनाथ विश्वविद्यालय के कॉमर्स और मैनेजमेंट विभाग द्वारा आयोजित पहले अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन में आज देशभर के शोध स्कॉलर्स ने अपने विचार और विषय से संबंधित प्रपत्र वाचन (Paper presentation) किया । इस दो दिवसीय सम्मेलन का विषय “Emerging Ideas on Sustainable Development Goals” है जो वर्तमान वैश्विक चुनौतियों का समाधान खोजने की दिशा में महत्वपूर्ण है।
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सम्मेलन की शुरुआत दीप प्रज्वलित कर की गई, जिसमें विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. एस. एन. सिंह, डीन एकेडमिक डॉ. दीपक शुक्ला, और डीन एडमिन जे. राजेश सहित कई प्रमुख अतिथियों ने भाग लिया। यह सम्मेलन ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह से आयोजित किया जा रहा है, जिससे अधिकतम लोगो की व्यापक भागीदारी सुनिश्चित हुई। इस अवसर पर, कुलपति डॉ. एस. एन. सिंह ने सतत विकास के महत्व पर प्रकाश डाला, जबकि डीन एकेडमिक डॉ. दीपक शुक्ला ने सतत विकास के लक्ष्यों के बारे में जानकारी दी। डीन एडमिन जे. राजेश ने सतत विकास के रास्ते में आने वाली चुनौतियों को रेखांकित किया।
सम्मेलन का उद्घाटन थाईलैंड की शिनावात्रा यूनिवर्सिटी की प्रबंधन संकाय की सहयोगी डीन और “जर्नल ऑफ मॉडर्न मैनेजमेंट” की संपादक डॉ. टिप्पवान लेत्ताथाकोर्नकीट के प्रेरणादायक भाषण से हुआ। उन्होंने “सतत विकास को बढ़ावा देने के लिए विपणन रणनीतियाँ” पर विस्तृत चर्चा की, जिसमें व्यवसायों की जिम्मेदारी को रेखांकित किया गया। इसके बाद, दूसरे मुख्य वक्ता डॉ. हाला राशाद, जो अहराम कैनेडियन यूनिवर्सिटी में विज्ञापन और जनसंपर्क की सहायक प्रोफेसर ने “उपभोक्ता व्यवहार और सतत उत्पाद अपनाना” विषय पर अपने विचार प्रस्तुत किए। उन्होंने उपभोक्ता की खरीदारी प्रवृत्तियों और हेडोनिक मूल्य के प्रभाव का गहन विश्लेषण किया, जो सतत खपत को प्रभावित करते हैं।
तीसरे वक्ता डॉ. भरत कुमार मोहर, सहायक प्रोफेसर, डी एस कॉलेज कटिहार, ने लेखांकन और वित्त में सतत विकास लक्ष्यों की महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर किया। उन्होंने वैश्विक ज्ञान और नवाचार को आगे बढ़ाने के लिए प्रमुख पत्रिकाओं में शोध पत्र प्रकाशित करने की आवश्यकता पर बल दिया। मुख्य वक्ताओं की प्रस्तुतियों के बाद, तकनीकी सत्र की शुरुआत हुई, जिसमें शोधकर्ताओं ने विभिन्न विषयों पर अपने विचार साझा किए। इस सफल कार्यक्रम के आयोजन में कॉमर्स और मैनेजमेंट विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. मृत्युंजय महतो और उनकी टीम का महत्वपूर्ण योगदान रहा।
इस सम्मेलन पर बात करते हुए एचआर रविकांत ने कहा कि इस कॉन्फ्रेंस ने न केवल शैक्षणिक संवाद को बढ़ावा दिया, बल्कि सतत विकास के लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए ठोस रणनीतियों पर भी प्रकाश डाला है ।