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केन्द्रीय ट्रेड यूनियन हड़ताल का दिखा असर, बैंक और बीमा कार्यालयों पर कामकाज रहा प्रभावित, ट्रेड यूनियनों ने निकाली रैली

By Tamishree Mukherjee

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केन्द्रीय ट्रेड यूनियन हड़ताल का दिखा असर

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सोशल संवाद/ जमशेदपुर : केंद्र सरकार द्वारा चार श्रम संहिताओं को लागू करने के खिलाफ बुधवार को केन्द्रीय ट्रेेड यूनियनों और स्वतंत्र फेडरेशनों के द्वारा श्रमिकों की राष्ट्रव्यापी आम हड़ताल का कोल्हान में असर दिखा। कोल्हान में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों , बीमा तथा केंद्रीय सरकारी संगठनों व निजी क्षेत्रों में भी कामकाज प्रभावित रहा। भारतीय स्टेट बैंक और निजी बैंकों के अलावे दूसरे बैंक जैसे बैंक आॅफ इंडिया, बैंक आॅफ बड़ौदा, इंडियन बैंक, यूनियन बैंक समेत विभिन्न बैंकों के बाहर कर्मचारियों ने धरना दिया, केन्द्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी की।

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शहर के 20 बैंकों के लगभग 110 शाखाओं मे में कामकाज प्रभावित रहा,दूसरी ओर भारी बारिश के कारण एसबीआई में भी ग्राहक कम दिखें। हांलाकि ग्राहकों को आॅनलाइन सेवाएं के मार्फत बैंकिंग का विकल्प था, एेसे में सीधे पूरी तरह बैंकिंग ठप नहीं था। इसी तरह बिष्टुपुर स्थित एलआईसी कार्यालय के बाहर बीमा कर्मचारियों ने प्रदर्शन किया, नारेबाजी कर 4 लेबर कोड वापस लेने की मांग की। ड़ाकघरों में भी कामकाज प्रभावित रहे।

साकची से निकाली रैली, किया प्रदर्शन

कर्मचारियों द्वारा विभिन्न कार्यस्थलों पर प्रदर्शन के अलावा, साकची आमबगान से जिला उपायुक्त कार्यालय तक एक विशाल रैली का आयोजन किया गया, जिसमें विभिन्न केंद्रीय ट्रेड यूनियनों, स्वतंत्र महासंघों और छात्रों, युवाओं, महिलाओं के जन संगठनों के सैकड़ो कार्यकर्ता शामिल हुए। संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले बोड़ाम बहरागोड़ा, पटमदा, पोटका और घाटशिला में भी एकजुटता प्रदर्शन आयोजित किए गए।

जमशेदपुर की आज की केंद्रीय रैली में इंटक के प्रदेश अध्यक्ष राकेश्वर पांडे, विजय खान, विनोद राय, संजीव श्रीवास्तव, परविंदर सिंह सोहल, मनोज सिंह, एटक के अंबुज ठाकुर, हीरा अरकने, आरएस राय, धनंजय शुक्ला, एस एन सिंह, सीटू के विश्वजीत देव, गुप्तेश्वर सिंह, संजय कुमार, एफएमआरएआई के पीआर गुप्ता, केडी प्रताप, सुब्रत विश्वास, एआईयूटीयूसी के लिली दास, सुमित रॉय, विष्णु गिरी, जेकेएमयू के गौतम बोस एआईडीएसओ के समर महतो, रिंकी और एआईएसएफ के मुकेश रजक आदि के नेतृत्व में हजारों कार्यकर्ताओं ने भाग लिया।

यह थी प्रमुख मांगे

  • 4 श्रम कानून निरस्त करने की मांग
  • निजीकरण रोकना, रोजगार सुनिश्चित करना, मूल्य वृद्धि पर रोक लगाना
  • करों और शुल्कों का बोझ हटाना
  • किसानों के लिए एमएसपी, असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए कानूनी और सामाजिक सुरक्षा,
  • स्थायी नौकरियों का अस्थायीकरण रोकना
  • समान काम के लिए समान वेतन और
  • -सभी के लिए स्वास्थ्य, शिक्षा, पेयजल और स्वच्छता तक मुफ्त पहुंच
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