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इस मंदिर के नामकरण के पीछे है निर्माण में खर्च आई रकम ; अनोखी है कहानी

By admin

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सोशल संवाद / डेस्क – देवघर को देवों की नगरी कहा जाता है। यहां कई देवी देवताओं के मंदिर स्थापित हैं।12 ज्योतिर्लिंगों में एक यहां बैद्यनाथ धाम में विराजमान है। यहां से 1.5 किमी की दूरी पर स्थित करनीबाग में नौलखा मंदिर है।जहां दूर-दूर से कृष्ण भक्त पहुंचते हैं। यहां बाल गोपाल की प्रतिमा स्थापित है। इनके दर्शन व पूजन के लिए भक्तों का तांता लगा रहता है। यह मंदिर वास्तुकला का एक बेहतरीन उदाहरण भी है, इसकी बनावट काफी खुबसूरत है।इसके नामकरण को लेकर भी एक रोचक कहानी है।

इतिहासकारों के अनुसार 146 फीट ऊंचे नौलखा मंदिर का निर्माण पश्चिम बंगाल के पथुरिया घाट राज घराने की रानी चारूशिला के द्वारा 1941 में कराया गया था।वह अपने पति अक्षय घोष और बेटे जतिंद्र घोष की मौत के शोक से उबर नहीं पा रही थी। इस दौरान वे संत बालानंद बह्माचारी से मिली तो उन्होंने मंदिर के निर्माण की सलाह दी थी। कहा जाता है कि इसके निर्माण में 9 लाख रुपये की लागत आई थी। इसलिए इसका नाम नौलखा मंदिर पड़ा है।यह मंदिर बेलूर के राधा कृष्ण मंदिर से काफी मिलता जुलता है।

मंदिर में विग्रह स्वरूप भगवान श्री कृष्ण बाल रूप में विराजमान हैं, साथ ही साथ संत बालानंद ब्रह्मचारी जी की एक मूर्ति भी स्थापित है। अतः मंदिर का वास्तविक नाम गुरु और गोविंद के स्वरूप को समर्पित जुगल मंदिर है। मंदिर में पूजा करने के लिए झारखंड के अलावा, बिहार, पश्चिम बंगाल व उड़ीसा से भी श्रद्धालु पहुंचते हैं। मंदिर का पट रोजाना सुबह 7 बजे से दोपहर 12 बजे तक और दोपहर 2 बजे से शाम 7 बजे तक खुला रहता है। बीच में किसी भी बेहतर समय पर लोग वहां जा सकते हैं। हालांकि, दोपहर 12 बजे से 2 बजे तक मंदिर के दरवाजे बंद रहते हैं। सुबह की आरती सुबह 7 बजे शुरू होती है।  देवघर पर्यटन के लिए आए लोग मंदिर की खूबसूरती देखने जरूर आते हैं।  नौलखा मंदिर देवघर शहर से केवल 2 किमी दूर है। यहां पहुंचने के लिए आप देवघर या जसीडीह से टैक्सी, ऑटो, टोटो, बस, कार आदि ले सकते हैं।

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