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अरविंद केजरीवाल के दस साल के आर्थिक मिसमेनेजमेनट का परिणाम है 2024-25 का बजट दिल्ली के इतिहास का पहला घाटे का बजट बन चुका है – वीरेन्द्र सचदेवा

By Tamishree Mukherjee

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अरविंद केजरीवाल के दस साल के आर्थिक मिसमेनेजमेनट का परिणाम है 2024-25 का बजट

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सोशल संवाद / नई दिल्ली ( रिपोर्ट – सिद्धार्थ प्रकाश ) : दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष वीरेन्द्र सचदेवा ने कहा है गत दस साल से दिल्ली वाले अरविंद केजरीवाल के बड़े बड़े फरेबी दावों के बीच ही एक दावा यह भी सुनते रहे हैं की हमारी सरकार का बजट सरप्लस बजट है और इसी कथन की आड़ मे यह दुनिया भर की नई योजनाएं बिना नये आर्थिक संसाधनों को विकसित किये लाते रहे। दस साल के आर्थिक मिसमेनेजमेनट का नतीज़ा है की जिस दिल्ली को 1994-95 में भाजपा की मदनलाल खुराना ने पहला सरप्लस बजट दिया था और उसी मजबूत नींव से 2022-23 तक सभी सरकारें सरप्लस बजट लाती रहीं पर उस दिल्ली में आज चालू योजनाओं की पूर्ति के लिए पैसा नही है।

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अरविंद केजरीवाल के दस साल के आर्थिक मिसमेनेजमेनट का परिणाम है की 2023-24 में फिसली आर्थिक स्थिती के चलते अब 2024-25 का बजट दिल्ली के विधाई इतिहास का पहला घाटे का बजट बन चुका है। सरकार के पास 2024-25 की बजट योजनाओं को पूरा करने के भी लिक्विड फंड नही और वित्तीय स्थिती आज इतनी खराब है की शायद दिसम्बर 2024 से दिल्ली सरकार अपने कर्मचारियों को वेतन भी नही दे पायेगी।

दिल्ली भाजपा अध्यक्ष ने कहा है की अक्सर बजट घाटा तब होता है जब रेवेन्यू खर्च के मुकाबले कम हो पर दिल्ली सरकार का रेवेन्यू साल दर साल बढ़ रहा है। बढ़ते रेवेन्यू के बावजूद केजरीवाल सरकार के बजट के घाटे में जाने का मूल कारण है बिना आर्थिक संसाधन जुटाये जन हितकारी योजनाएं लागू कर देना पर योजनाबद्ध कार्यों को बजट मे डाल कर भी उनके लिए समयबद्ध रेवेन्यू प्रावधान ना करना।

आज दिल्ली को पावर सब्सिडी, ट्रांसपोर्ट विभाग, सिंचाई विभाग, निर्माणाधीन अस्पतालों, मेट्रो, न्यायालय परिसर एवं न्यायालय वेतन खर्च वृद्धि आदि तक के लिए 7000 करोड़ रुपए चाहिए पर दिल्ली सरकार के पास इनके लिए एक पैसा तक नही है। केन्द्र सरकार के साथ मिलकर जो योजनाएं लागू होनी होती है उनका भी दिल्ली सरकार द्वारा अपना हिस्सा टाइम पर ना देने के कारण वह भी रूक गई हैं।

दिल्ली भाजपा अध्यक्ष ने कहा है की दुर्भाग्यपूर्ण है की अरविंद केजरीवाल ने सत्ता के दस साल सत्ता संघर्ष की भेंट चढ़ा दिये और आज दिल्ली को ऐसे आर्थिक मिसमेनेजमेनट में झोंक दिया है जहां विकास तो ठप्प हो ही गया है अब तो जन हितकारी योजनाएं भी रूकती नजर आ रही हैं।

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