सोशल संवाद / चाईबासा : आदिवासी क्षेत्रों में ग्रामसभा की सहमति से शराब दुकान खोलने के फैसले के विरुद्ध आदिवासी “हो” समाज महिला महासभा की टीम ने कला एवं संस्कृति भवन हरिगुटु,चाईबासा में केंद्रीय अध्यक्ष अंजू सामड की अध्यक्षता में बैठक की । आदिवासी क्षेत्रों में शराब दुकानें खोले जाने हेतु ट्राईबल एडवाइजरी काउंसिल के निर्णयों के विरोध में महिला महासभा की सदस्यों ने कड़ी आपत्ति जतायी है । महिला महासभा के सदस्यों ने राज्य सरकार के खिलाफ नाराजगी जाहिर करते हुए बतायी है कि आज पारंपरिक पेय पदार्थ हड़िया और महुआ भट्टी जैसा चीजों को खुले में बिक्री एवं सेवन करने के असामाजिक गतिविधियों को रोक लगाने में जिला प्रशासन और आदिवासी समाज भी फेल है । आर्थिक कमजोरी के कारण हड़िया का बाजारीकरण से समाज का पूजनीय एवं पारंपरिक पेय पदार्थ का अपमान किया जा रहा है।
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लोग अनियंत्रित नशापान करके बलात्कार,चोरी-डकैती,मारपीट,जमीनी-विवाद घटनाएँ बढ़ती जा रही है । साथ ही अंधविश्वास व डायन प्रथा जैसी मुद्दों को बनाकर एकदम नशा के दम पर एक दूसरे का जान ले रहे हैं । इससे आर्थिक नुकसान और सामाजिक नुकसान दोनों संभव है । सदस्यों ने स्पष्ट कही है कि ऐसे ही आदिवासी समाज का बेहाल अवस्था है । इसके बावजूद आदिवासी क्षेत्रों में शराब दुकानों को खोलकर आदिवासियों को विदेशी शराब पिलाने के लक्ष्य से राज्य सरकार का मंशा ऊजागर हुआ है।
लोगों ने मांग किया है कि सरकार और टीएसी को इस फैसले को वापस लेना चाहिए और आदिवासी क्षेत्रों को शराब का अड्डेबाजी से मुक्त किया जाये । जिससे आदर्श समाज रूप में क्षेत्र विकसित हो सके ! इस अवसर पर आदिवासी “हो” समाज महिला महासभा के उपाध्यक्ष – नागेश्वरी जारिका,सचिव – विमला हेम्ब्रम , कोषाध्यक्ष- इंदु हेम्ब्रम,शिक्षा सचिव- विनीता पुरती,सह-कोषाध्यक्ष- रोशन रानी पाड़ेया ,उप-शिक्षा सचिव- विरंग पुरती,सदस्य प्रमिला बिरुवा,लक्ष्मी हेम्ब्रम, यशमती सिंकू,सुशीला सिंकू आदि लोग मौजूद थे ।