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CM रेखा गुप्ता बोलीं  दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में दवाओं और सुविधाओं की कोई कमी नहीं

By Riya Kumari

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There is no shortage of medicines and facilities in Delhi

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सोशल संवाद / नई दिल्ली :  दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा है कि राजधानी के सरकारी अस्पतालों को मरीजों के लिए बेहतर बनाना उनकी सरकार की प्राथमिकता है। दिल्ली सरकार हर अस्पताल में दवाएं, उपकरण और सुविधाएं समय पर उपलब्ध कराने के लिए लगातार प्रभावी कदम उठा रही है।

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मुख्यमंत्री का यह भी कहना है कि अस्पतालों में दवाई की 90 प्रतिशत दवाएं उपलब्ध हैँ और विभिन्न असपतालों में वेंटिलेटर बेड के लिए वेंटिलेटर की भी कमी नहीं है। मुख्यमंत्री ने अस्पतालों के चिकित्सा अधीक्षकों को निर्देश दिए हैं कि उनके अस्पतालों में जो भी कमी हो, वे उसे तुरंत संज्ञान में लाएं। हम उस पर कार्यवाही करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार के पास दिल्ली की चिकित्सा व्यवस्था को चाक-चौबंद रखने के लिए बजट की कोई कमी नहीं है।

मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने आज स्वास्थ्य मंत्री डॉ. पंकज कुमार सिंह के साथ दिल्ली सचिवालय में सरकारी अस्पतालों के चिकित्सा अधीक्षकों के साथ एक समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की। बैठक का उद्देश्य अस्पतालों में दवाओं, उपकरणों, स्टाफ और ढांचागत समस्याओं से संबंधित मुद्दों की विस्तृत समीक्षा करना और इसको लेकर आने वाली अड़चनों को दूर करना था। बैठक में विशेष रूप से लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के वरिष्ठ अधिकारियों को भी बुलाया गया था ताकि अस्पतालों में निर्माण, रिपेयर आदि मसलों का भी तय समय में समाधान हो सके।

मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से कहा कि सरकारी अस्पतालों को बेहतर बनाए रखने के लिए सरकार के पास बजट की कोई कमी नहीं है। आप सभी अधीक्षक अपने अस्पतालों की जरूरतें हमें बताएं, उसका प्रभावी समाधान किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि अस्पताल स्टाफ को मरीजो के प्रति व्यवहार को संवेदनशील बनाना होगा, यह जरूरी है। इस व्यवहार से मरीजों का अस्पताल व डॉक्टरों के प्रति विश्वास बढ़ता है। मुख्यमंत्री का कहना था कि अस्पतालों में “ड्रग्स, इक्विपमेंट, स्टाफ और इंफ्रास्ट्रक्चर” इन चारों क्षेत्रों में से किसी भी प्रकार की कमी नहीं रहनी चाहिए।

मुख्यमंत्री ने स्वास्थ्य विभाग व पीडब्ल्यूडी के बीच बेहतर तालमेल से निर्माण व रिपेयर से जुड़ी समस्याओं का शीघ्र समाधान सुनिश्चित करने के निर्देश भी जारी किए। उन्होंने कहा कि जिन अस्पतालों में मरम्मत, निर्माण या नवीनीकरण से जुड़े कार्य चल रहे हैं, वहां गति और गुणवत्ता दोनों सुनिश्चित की जाएं। बैठक में सभी चिकित्सा अधीक्षकों और विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिए गए कि वे अपने-अपने अस्पतालों में आवश्यक मरम्मत, उपकरणों की सेवा, दवाओं की आपूर्ति और स्टाफ से संबंधित सभी समस्याओं की समयबद्ध रिपोर्ट प्रस्तुत करें, ताकि आगामी समीक्षा बैठक में उनके परिणामों का मूल्यांकन किया जा सके। बाद में मुख्यमंत्री ने मीडिया को बताया कि कई अस्पतालों में वर्षों पुरानी मशीनें आज भी काम में ली जा रही हैं, जो तकनीकी रूप से निष्प्रभावी हो चुकी हैं।

यह स्थिति अत्यंत चिंता का विषय है। अब सरकार पीपीपी मॉडल (पब्लिक-प्राइवेट-पार्टनरशिप) और सीएसआर (कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व) योगदान के माध्यम से भी एमआरआई, सीटी स्कैन, अल्ट्रासाउंड, एक्स-रे सहित अनेक अत्याधुनिक चिकित्सा उपकरणों की व्यवस्था कर रही है, जिससे मरीजों को तुरंत और गुणवत्तापूर्ण जांच-सुविधाएं मिल सकें। इसके अलावा मांग के आधार पर मुख्यमंत्री विकास फंड के जरिए भी अस्पतालों में सुविधाएं बढ़ाई जा रही हैं। मुख्यमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि दिल्ली के किसी भी सरकारी अस्पताल में वेंटिलेटर की कोई कमी नहीं है। सभी अस्पतालों में जितने वेंटिलेटर बेड हैं, वे 100 प्रतिशत कार्यशील हैं।

कोविड काल में जो अतिरिक्त वेंटिलेटर प्राप्त हुए थे, वे भी अस्पतालों में उपलब्ध हैं, जिससे आपात स्थिति में अतिरिक्त सहूलियत बनी हुई है। दवाओं की आपूर्ति पर मुख्यमंत्री का कहना था कि वर्तमान में लगभग 90 प्रतिशत दवाओं की उपलब्धता पूरी तरह सुनिश्चित है और शेष 10 प्रतिशत में जो अस्थायी अंतर रहता है, उसे भी समाप्त करने की दिशा में ठोस कदम उठाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार का लक्ष्य है कि किसी भी मरीज को दवा की कमी का सामना न करना पड़े। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि दिल्ली सरकार का उद्देश्य केवल अस्पतालों की इमारतों को आधुनिक बनाना नहीं, बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं को जन-केंद्रित, सुलभ और पूर्णतः विश्वसनीय बनाना है।

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