सोशल संवाद/ डेस्क : शास्त्रों में ज्येष्ठ माह में ही जल के संरक्षण का खास महत्व बताया गया है. इस माह में गर्मी सर्वाधिक रहती है. ऐसे में पानी के अधिकतर स्रोत नदी, तालाब, कुएं आदि सूख जाते हैं. यही कारण है कि जो ज्येष्ठ के माह में जल का दान करता है, जल की बर्बादी नहीं करता है उसे मां लक्ष्मी और विष्णु जी की कृपा प्राप्त होती है. उसके धन-अन्न के भंडार कभी खाली नहीं होते. ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष के वरुण देव की पूजा के लिए व्रत-उपवास गंगा दशहरा और निर्जला एकादशी हमें जल का महत्व समझाते हैं
जल दान और उपाय से मिलेंगे ये लाभ
ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष यानी 15 दिन की अवधि में पशु-पक्षियों के लिए पानी पीने की व्यवस्था करें. मान्यता है इससे तरक्की में आ रही हर बाधा का नाश होता है और कार्यक्षेत्र में सफलता मिलती है.
जल दान के लिए सबसे उत्तम उपाय है राहगीरों को पानी पिलाना या फिर उनके लिए पियाऊ लगवाना. शास्त्रों के अनुसार जो व्यक्ति ज्येष्ठ के महीने में लोगों के लिए जल सेवा में समर्पित होता है उसे कभी दरिद्रता का मुंह नहीं देखना पड़ता. मां लक्ष्मी उस पर सदा मेहरबान रहती हैं. पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और पितृ दोष दूर होता है.
इन 15 दिनों में पेड़-पौधों को जल से सींचें. प्रचंड गर्मी से उन्हें बचाने का प्रयास करें. कहते हैं ये उपाय सौभाग्य में वृद्धि करता है, जैसे-जैसे पेड़ पौधे खिलेंगे वैसे ही व्यक्ति के सौभाग्य में बढ़ोत्तरी होती जाएगी. बिना रुकावट के उसके हर काम पूरे होंगे. ग्रह बाधाओं से मुक्ति मिलेगी. खासकर पीपल, वट, तुलसी, में जल अर्पित करने से दोगुना लाभ मिलता है.
हिंदू कैलेंडर के तीसरे माह ज्येष्ठ महीने का शुक्ल पक्ष चल रहा है. इस माह का समापन 4 जून 2023 को होगा. ज्येष्ठ का महीना व्रत और दान पुण्य के लिए महत्वपूर्ण माना गया है. ज्येष्ठ में सूर्य अत्यंत ताकतवर होता है इसलिए गर्मी भी भयंकर होती है.