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गणपति बप्पा की भक्ति में लीन ये मुस्लिम सितारे, आस्था की मिसाल बना रहे हैं

By Muskan Thakur

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सोशल संवाद/डेस्क : गणेश चतुर्थी 2025 का पर्व पूरे देश में श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जा रहा है। मंदिरों से लेकर घरों तक, बप्पा की आराधना की गूंज सुनाई दे रही है। हर कोई अपने-अपने तरीके से गणपति बप्पा का स्वागत कर रहा है, और इस अवसर पर देश की फिल्म और टेलीविज़न इंडस्ट्री के सितारे भी पीछे नहीं हैं।

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दिलचस्प बात ये है कि कई ऐसे कलाकार भी हैं, जिनकी धार्मिक पृष्ठभूमि भले ही मुस्लिम हो, लेकिन उनकी आस्था और सम्मान हिंदू त्योहारों के प्रति भी उतनी ही गहरी है। ये सितारे हर साल गणेश चतुर्थी के अवसर पर अपने घरों में बप्पा की मूर्ति स्थापित करते हैं और पूरे विधि-विधान से पूजा करते हैं।

यह पहल सिर्फ़ एक त्योहार को मनाने की नहीं, बल्कि धार्मिक सौहार्द और सांस्कृतिक एकता की सुंदर मिसाल बन चुकी है।

सलमान खान, जो अक्सर फैमिली के साथ हर त्योहार मनाते हैं, गणेश चतुर्थी के मौके पर अपने घर ‘गैलेक्सी अपार्टमेंट’ में बप्पा की मूर्ति लाते हैं। पूरा परिवार इस अवसर पर एकत्र होता है, जिसमें उनकी बहनें, भाई, माता-पिता और करीबी दोस्त शामिल होते हैं।

वहीं, सैफ अली खान और करीना कपूर खान का परिवार भी इस परंपरा को बरकरार रखता है। उनके दोनों बेटे — तैमूर और जेह — भी गणेश पूजा में भाग लेते हैं, जो आने वाली पीढ़ियों को धार्मिक विविधता के प्रति खुला दृष्टिकोण सिखाता है।

बॉलीवुड के बादशाह शाहरुख खान के घर में वर्षों से दोनों धर्मों के त्योहारों को एक समान मनाया जाता रहा है। चाहे ईद हो या दिवाली, या फिर गणेश चतुर्थी — शाहरुख का परिवार हर अवसर को पूरे दिल से मनाता है।

हिना खान, जो टीवी की दुनिया का बड़ा नाम हैं, हर साल गणेश चतुर्थी मनाती हैं और सोशल मीडिया पर बप्पा की झलकियां भी शेयर करती हैं। उनके पति रॉकी जायसवाल के साथ वे मिलकर त्योहार की रौनक को और खास बना देती हैं।

शहीर शेख, सोहा अली खान, और सारा अली खान जैसे सितारे भी इस कड़ी में शामिल हैं। ये सभी न सिर्फ़ बप्पा को अपने घर लाते हैं, बल्कि हर साल इस परंपरा को और गहराई देते जा रहे हैं।

इनके अलावा, अभिनेत्री देवोलीना भट्टाचार्जी और उनके पति शाहनवाज़, जो अलग-अलग धर्मों से ताल्लुक रखते हैं, एक-दूसरे के त्योहारों को मिलकर मनाते हैं — और यह भारत की विविधता में एकता की भावना को और मजबूत करता है।

इन सभी उदाहरणों से यह साफ है कि धर्म, आस्था और संस्कृति का मेल किसी दीवार से नहीं बंटा होता। बल्कि जब इंसानियत और आपसी सम्मान की भावना हो, तो हर त्योहार सबका होता है।

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