भारत में मौजूद ये ममी है जिंदा ; आज भी बढ़ रहे है बाल और नाख़ून

सोशल संवाद / डेस्क :  आपने इतिहास में पढ़ा होगा कि प्राचीन मिस्र सभ्यता में बड़े पैमाने पर ममी (Mummy) होती थी। इसमें किसी भी इंसान की मौत के बाद उसके शव को केमिकल्स से संरक्षित करके रखा जाता था जिसे ममी कहते थे। सिर्फ मिस्र में ही नहीं बल्कि अन्य देश में भी ममी का अस्तित्व देखा गया है। लेकिन क्या आप जानते है हमारे भारत देश में भी  ममी है ।

देखें विडियो : https://www.youtube.com/watch?v=Gm2pui3fCGc

जिस ममी की बात हम कर रहे है , ये  हिमाचल प्रदेश में मौजूद है।  यह ममी लगभग 550 साल से अधिक पुरानी मानी जाती है।  और सबसे रोचक बात ये है की इस ममी को जीवित माना जाता है ।  जी हा गांव के बुजुर्गो का इस ममी के बारे में कहना है कि 15वीं शताब्दी में यहां गांव में एक संत तपस्या कर रहे थे। ये उन्हीं की ममी है।

पौराणिक कथाओं में हमने अकसर ये सूना है कि ऋषि-मुनी किसी देवता को प्रसन्न करने के लिए सैकड़ों सालों तक तपस्या करते थे। कहते है की ये संत भी तपस्या कर रहे है वो भी एक या दो नहीं बल्कि करीब 550 साल से  । जी, हां तिब्बत से करीब 2 किलोमीटर की दूरी पर लाहुल स्पिती के गीयू नामक गांव में एक सन्त की ममी पाई गई है।हैरान कर देने वाली बात ये है कि इनके बाल और नाखून आज भी बढ़ रहे हैं। इसीलिए विशेषज्ञ इन्हें ममी मानने से कतरा रहे हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार,  इस ममी का संबंध संघा तेनजिन नाम के एक लामा से है, जिसकी मृत्यु लगभग आधी शताब्दी से पहले 45 वर्ष की आयु में हो गई थी।

एक आधिकारिक बयान में ये पता चला है कि ममी भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) ने सड़क निर्माण कार्य के दौरान पाई थी। कुछ का कहना है कि ये ममी खुदाई का काम करते समय देखी गई थी। हालांकि स्थानीय लोगों का दावा है कि वर्ष 1975 में भूकंप के बाद एक पुराने मकबरे को खोलने के बाद भिक्षु का ममीकृत शरीर मिला था, लेकिन इसके बारे में जानकरी और इसकी खुदाई 2004 के बाद की गई थी, तब से पुरातत्वविदों और जिज्ञासु यात्रियों के लिए ये रुचि का विषय बना हुआ है। खुदाई के बाद से हिमाचल सरकार ने मंदिर के रखरखाव और सुरक्षा का जिम्मा संभाला है।

इस मोंक की संरचना मिस्र की ममी से बिल्कुल अलग है। ऐसी कहानी प्रचलित है कि खुदाई के दौरान ममी के सिर पर कुदाल लगने से खून निकल गया था, जो कि ऐसे सामान्य तौर पर सम्भव नहीं है। ममी की संरचना पर इस ताजा निशान को आज भी देख सकते हैं। आपको बता दें, 2009 तक ये ममी ITBP के कैम्पस में रखी गई थी। देखने वालों की भीड़ बढ़ने की वजह से इसे गांव में स्थापित कर दिया गया।

ममी बनाने में एक खास तरह का लेप मृत शरीर पर लगाया जाता है, लेकिन ग्यू ममी पर किसी भी तरह का लेप नहीं लगाया गया है। फिर भी इतने सालों से ये ममी कैसे सुरक्षित है इसका पता चल नहीं पाया है । स्थानीय लोगों के अनुसार, चौंकाने वाली तो सबसे बड़ी ये है कि इस ममी के बाल और नाखून आज भी बढ़ रहे हैं, जिस वजह से लोग इसे एक जीवित भगवान मानते हैं और इसकी पूजा करते हैं।

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