सोशल संवाद/डेस्क : कुछ ही दिनों मे छठ महापर्व की शुरुआत होने वाली है. इसे खास तौर से झारखंड, बिहार और उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है. कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को इसकी शुरुआत होती है और कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी को समापन होता है. छठ पूजा में भगवान सूर्य और छठ माता की उपासना की जाती है. वहीं, छठ पूजा में डूबते और उगते सूर्य को अर्ध्य देने की परम्परा है. षष्ठी तिथि को डूबते सूर्य को अर्ध्य दिया जाता है और सप्तमी तिथि को उगते सूर्य को अर्ध्य देने की परंपरा है, लेकिन इस साल संयोग ऐसा बन रहा है कि उगते सूर्य को अर्ध्य सप्तमी तिथि में देने के लिए बहुत कम समय रहने वाला है.
इस साल चार दिवसीय छठ महापर्व की शुरुआत 17 नवंबर से होने जा रही है और यह पर्व 20 नवंबर तक चलने वाला है. इस चार दिवसीय महापर्व में शुद्धता का बेहद खास ख्याल रखा जाता है. वहीं, जो जातक डूबते सूर्य को और उगते हुए सूर्य को अर्ध्य देता है उनकी कुंडली में सूर्य मजबूत होता है. करियर और कारोबार में उन्नति प्रदान होती है. इसके साथ ही वह हमेशा निरोग रहते हैं. छठ महापर्व मे डूबते सूर्य को षष्ठी तिथि में अर्ध्य दिया जाता है और उगते सूर्य को सप्तमी तिथि को अर्ध्य पड़ता है, लेकिन इस साल दोनों अर्ध्य सप्तमी तिथि में ही पड़ने वाले हैं.
कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि की शुरुआत 19 नवंबर दिन रविवार को प्रातः 7 बजकर 51 मिनट से होने जा रही है और इसका समापन अगले दिन यानी 20 नवंबर दिन सोमवार सुबह 05 बजकर 36 मिनट पर होगा. यानी सोमवार को प्रात:कालीन अर्ध्य 5 बजकर 36 मिनट से पहले सूर्य भगवान को अर्पण करना पड़ेगा. ऐसे में रविवार को पड़ने वाला शाम का अर्ध्य सप्तमी तिथि को पड़ेगा. वहीं, सोमवार को सुबह के अर्ध्य के लिए 5.36 बजे तक ही सप्तमी तिथि रहने वाली है. इसके बाद अष्ट्मी तिथि की शुरुआत हो जाएगी. मान्यता के अनुसार, अष्टमी तिथि में छठ का अर्ध्य नहीं देना चाहिए.