सोशल संवाद/डेस्क : वर्तमान में ब्ल्यूटूथ हैडफोन या इयरबड का चलन तेजी से बढ़ रहा है. ये उपकरण कान की श्रवण तंत्रिकाओं को नुकसान पहुंचाने के साथ ऑडिटरी हियरिंग मैकेनिज्म पर एजिंग इफेक्ट भी डालते हैं. असल में ब्लूटूथ रेडियो फ्रीक्वेंसी की मदद से काम करता है. इसमें से इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फ्रीक्वेंसी निकलती है, जो शरीर को नुकसान पहुंचाती है. चूंकि इयरबड कान के अंदर इन्सर्ट किये जाते हैं, जिससे लंबे समय तक इनके इस्तेमाल से ब्लूटूथ से निकलने वाले रेडिएशन से बहरापन होता है.
पिछले दिनों पीजीआइ चंडीगढ़ में हुए रिसर्च में यह बात सामने आयी है कि दिन में चार घंटे से ज्यादा हियरिंग एड इस्तेमाल करने से सुनने की क्षमता में कमी आती है. यही वजह है कि हियरिंग लॉस जो पहले बड़ी उम्र की समस्या माना जाता था, लेकिन इयरबड की वजह से युवावस्था में भी लोग इस समस्या से जूझ रहे हैं.
अपने देश में कान शरीर का सबसे ज्यादा उपेक्षित अंग है. उसमें होने वाली छोटी-छोटी समस्याओं को तब तक नजरअंदाज किया जाता है, जब तक वह गंभीर रूप नहीं ले लेती, जैसे- डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के हिसाब से हमारे देश में 30 से 40 प्रतिशत लोग कान से लिक्विड बहने की समस्या झेल रहे हैं, जिसकी वजह से व्यक्ति को एक कान में कम सुनाई देने लगता है.