सोशल संवाद /डेस्क : नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्माचरिणी की पूजा का विधान है. मां दुर्गा की नव शक्तियों का दूसरा स्वरूप माता ब्रह्मचारिणी का है. ब्रह्मचारिणी का अर्थ, ब्रह्म का अर्थ होता है तपस्या और चारिणी का अर्थ आचरण से है, यानी ये देवी तप का आचरण करने वाली हैं.
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पौराणिक ग्रंथों के अनुसार ये हिमालय की पुत्री थीं तथा नारद के उपदेश के बाद भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए इन्होंने कठोर तप किया. जिस कारण इनका नाम तपश्चारिणी अर्थात् ब्रह्मचारिणी पड़ा. मां का यह रूप काफी शांत और मोहक है. माना जाता है कि जो भक्त मां के इस रूप की पूजा करता है उसकी हर मनोकामना पूरी होती है.
नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है. माता को शक्कर से बनी चीजें काफी प्रिय हैं. आप माता को शक्कर से बनी बर्फी का भोग लगा सकते हैं.
इसे बनाने के लिए एक भारी पैन में घी गर्म कर लें, इसमें खोया डालकर भूनें. ध्यान रहे मिक्सचर को लगातार चलाते रहे. जब मिक्सचर बीच में इकट्ठा होने लगे, तो इसमें चीनी डालें. हल्की आंच पर अच्छी तरह मिलाएं. चीनी पूरी तरह घुल जानी चाहिए. मिक्सचर को चलाते रहे, जिससे यह पैन के नीचे चिपके न. जब मिक्सचर बीच में एक बॉल की तरह बन जाए, तो इसे एक घी लगी प्लेट में निकालें. ठंडा होने के लिए छोड़ दें. अपनी पसंद की शेप में काटकर भोग लगाएं.
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने के लिए इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर साफ कपड़े पहनें. इसके बाद मंदिर को अच्छे से साफ करें. देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा करते समय सबसे पहले हाथों में एक फूल लेकर उनका ध्यान करें और प्रार्थना करें. इसके बाद देवी को पंचामृत स्नान कराएं, फिर अलग-अलग तरह के फूल,अक्षत, कुमकुम, सिन्दुर, अर्पित करें. देवी को सफेद और सुगंधित फूल चढ़ाएं. इसके अलावा कमल का फूल भी देवी मां को चढ़ाएं.
नवरात्रि में लौंग चढ़ाने का खास महत्व है। इससे मां दुर्गा की कृपा मिलती है, नकारात्मकता का नाश होता है, सकारात्मकता का संचार होता है। नवरात्रि के 9 दिनों तक आप रोजाना शाम के समय दीप में लौंग के जोड़े को डालकर दीप जलाएं और इसे धुएं को पूरे घर में दिखाएं।आरती करते हैं भी कपूर में लौंग के जोड़े को डालकर आरती कर सकते हैं.