सोशल संवाद/ डेस्क: भारत के पूर्वोत्तर राज्य मिजोरम की राजधानी आइजोल में पहली बार ट्रेन पहुंची है. ये पल सिर्फ ऐतिहासिक नहीं, बल्कि भावनात्मक भी है.देश को आज़ाद हुए सात दशक हो गए,लेकिन मिजोरम का एक बड़ा इलाका आज तक ट्रेन की आवाज़ तक से अंजान था.यहाँ ऐसे कई लोग हैं, जिन्होंने अब तक ट्रेन को न तो चलते देखा, न चढ़े, न ही स्टेशन देखा. अब इस सपने को साकार किया है बैरवी से सायरांग तक बनकर तैयार हुई नई रेलवे लाइन ने.इस लाइन के पूरा होते ही मिजोरम की राजधानी आइजोल भी अब देश के बाकी हिस्सों से सीधे जुड़ गई है.भारतीय रेल के नक्शे पर अब मिजोरम की मौजूदगी दर्ज हो चुकी है.
नॉर्थ ईस्ट रेलवे के चीफ पीआरओ के के शर्मा के मुताबिक इस लाइन के शुरू होने से पूर्वोत्तर के चार राज्यों की राजधानी असम, अरुणाचल,त्रिपुरा और अब मिजोरम भारतीय रेलवे नेटवर्क से जुड़ चुकी हैं. रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने भी इसे मिजोरम को भारत के दिल से जोड़ने वाला प्रोजेक्ट बताया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जल्द ही इसे राष्ट्र को समर्पित करेंगे.ये रेल लाइन न केवल लोगों को जोड़ेगी,बल्कि क्षेत्र के व्यापार,विकास और सुरक्षा के लिए भी बेहद अहम साबित होगी.
अब तक आइजोल पहुंचने के दो ही तरीके थे. पहला हवाई जहाज से और दूसरा सड़क मार्ग से जिसमें असम के सिलचर से 8–10 घंटे का लंबा सफर होता है. लेकिन अब, बैरवी-सायरांग रेलवे लाइन के तैयार हो जाने के बाद ये दूरी केवल तीन घंटे में तय की जा सकेगी.
इस नई रेल परियोजना में कुल 51 किलोमीटर लंबा ट्रैक है.इसके रास्ते में चार प्रमुख स्टेशन -कुर्तिकी, कानपुई, मुलखांग और सायरांग, बनाए गए हैं. रेलवे के मुताबिक, इस ट्रैक पर ट्रेनों की रफ्तार 110 किलोमीटर प्रति घंटे तक हो सकती है जो कि पहाड़ी इलाके के हिसाब से बड़ी उपलब्धि है.
दिल्ली से अब डायरेक्ट आइजोल ट्रेन से संभव
इस ट्रैक के चालू होते ही अब दिल्ली,कोलकाता, गुवाहाटी जैसे शहरों से सीधी ट्रेन सेवा शुरू की जा सकती है.प्रोजेक्ट के चीफ इंजीनियर विनोद कुमार ने बताया अब मिजोरम के लाखों लोगों को देश के किसी भी कोने तक ट्रेन से जाना आसान होगा.इससे माल ढुलाई सस्ती होगी, कारोबार बढ़ेगा और स्वास्थ्य-शिक्षा के लिए बाहर जाने में दिक्कत नहीं होगी.