सोशल संवाद/डेस्क: कोल्हान क्षेत्र में Tribal भोगनाडीह, सिरमटोली, नगड़ी और चाईबासा में हालिया घटनाओं को लेकर तनाव बढ़ता जा रहा है। स्थानीय आदिवासी समुदाय का कहना है कि जब भी उन्होंने अपने हक़ व अधिकार की आवाज़ उठाई, तो सरकार तथा सुरक्षा बलों ने आंदोलन को दबाने की व्यवस्था अपनाई लाठीचार्ज, आंसू गैस का इस्तेमाल, प्रदर्शनकारियों की गिरफ्तारियाँ और उन पर फर्जी मुकदमे दर्ज करना इस पैटर्न का हिस्सा बन गया है।

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Tribal protests in Kolhan: फर्जी एफआईआर और गिरफ्तारी का आरोप
आदिवासी नेतृत्व का आरोप है कि कोल्हान में वही पुराना फार्मूला लागू किया जा रहा है: प्रदर्शनकारियों पर कड़ी कार्रवाई, फर्जी एफआईआर और अंततः विरोध को ‘अज्ञात’ आरोपियों के नाम पर दमन कर देना। इस बार कुल 75 लोगों पर नामजद आरोप लगाये गए हैं जिनमें गर्भवती महिलाएँ और नाबालिग बच्चे भी शामिल बताए जा रहे हैं और सैकड़ों अन्य के खिलाफ कथित तौर पर झूठे मामले दर्ज किए गए हैं।
Tribal protests in Kolhan: हाईकोर्ट से कार्रवाई की मांग और संविधानिक अधिकार
स्थानीय लोगों का कहना है कि सूर्या हांसदा के कथित फर्जी एनकाउंटर जैसे मामलों से भी अब किसी को डर नहीं रहता। आदिवासी नेता हाईकोर्ट से माँग कर रहे हैं कि वे इस पूरे मामले को संज्ञान में लें और एससी‑एसटी एक्ट के तहत त्वरित और सख्त कार्रवाई सुनिश्चित कराएँ। उन्होंने कहा है कि भारतीय संविधान हर नागरिक को अपनी वैध माँगों के लिए शांतिपूर्ण धरना–प्रदर्शन का अधिकार देता है, और इस अधिकार का हनन अस्वीकार्य है।
आदिवासी समुदाय ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि फर्जी एफआईआर वापस नहीं ली गयीं और गिरफ्तार लोगों को रिहा नहीं किया गया, तो कोल्हान के लोग अनिश्चित काल के लिए सड़कें और व्यापार बंद करने का निर्णय ले चुके हैं “यहाँ से एक ढेला भी बाहर नहीं निकलने दिया जाएगा”, उनका कहना है। यह चेतावनी क्षेत्र में चिंताजनक स्थिति का संकेत है और किसी भी तरह के आर्थिक व सामाजिक असर की संभावना जताती है।
वृहत् नागरिक और सामाजिक संगठनों ने भी मामले पर गंभीर चिंता व्यक्त की है और प्रशासन व पुलिस से अपील की है कि वे त्वरित संवाद, मामले की पारदर्शी जांच और विवादित एफआईआर की समीक्षा कराएं। स्थानीय वकील तथा मानवाधिकारवादी यह भी कह रहे हैं कि यदि आवश्यक हो तो हाईकोर्ट तुरंत पिटीशन स्वीकार कर मामले की निगरानी करे।
प्रशासन ने अभी तक इन आरोपों पर विस्तृत टिप्पणी जारी नहीं की है; पुलिस ने कुछ मामलों में कार्रवाई होने की जानकारी दी है पर फर्जी होने के दावों का खंडन या पुष्टि अब तक स्पष्ट नहीं हुई है। मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए क्षत्रों में शांति बनाए रखने और किसी भी तरह की हिंसा से बचने की निर्देशित अपील की जा रही है।
इस घमासान के बीच स्थानीय अर्थव्यवस्था, आवागमन और स्कूल‑कॉलजों पर असर की आशंका जताई जा रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि न्यायसंगत और शीघ्र कानूनी उपाय तथा प्रशासन‑समुदाय के बीच संवाद ही स्थिति को सामान्य करने का रास्ता है।
हम इस खबर पर अपडेट लेते रहेंगे जैसे ही प्रशासन, पुलिस या हाईकोर्ट से कोई आधिकारिक बयान आता है या गिरफ्तार लोगों की रिहाई/एफआईआर वापसी की कोई कार्रवाई होती है, आपको जानकारी दी जाएगी।








