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“चाईबासा नो-एंट्री मांगने पर आदिवासी महिलाओं पर रात में लाठीचार्ज मां की गिरफ्तारी से मासूम बच्चे बेघर

By Muskan Thakur

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सोशल संवाद/डेस्क : इन मासूम बच्चों की आंखों में छिपे दर्द, इनके चेहरों पर पसरी मायूसी, और इस खामोशी के पीछे के अहसास को समझिये… इन बच्चों के पिता महाराष्ट्र में मजदूरी करते हैं, तथा मां पिछले महीने से जेल में है।इनकी मां का अपराध यह है कि चाईबासा में लगातार हो रही सड़क दुर्घटनाओं के मद्देनजर, इन्होंने अपने समाज के अन्य लोगों के साथ सरकार से “नो एंट्री” की मांग करने का दुस्साहस किया था।

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लेकिन “इस अपराध” के लिए सरकार ने आधी रात में पहले इन्हें लाठियों से पिटवाया, फिर उन पर फर्जी मुकदमा दर्ज करवा कर, उन्हें जेल भेज दिया। इस मामले में डेढ़ दर्जन लोगों को जेल भेजने के बाद भी जब सरकार का दिल नहीं भरा, तो उन्होंने 75 लोगों पर नामजद तथा 500 अज्ञात लोगों पर मुकदमा दर्ज करवा दिया।

इस हालात में ये बच्चे, माता-पिता के होते हुए भी, अनाथों की तरह जीवन जीने को मजबूर हैं। भोजन-पानी एवं हर जरूरत के लिए पड़ोसियों पर निर्भर हैं, लेकिन इन्हें इस हालात में पहुंचाने वाले लोग सत्ता के नशे में झूम रहे हैं।आदिवासियों पर अत्याचार, उनकी जमीन जबरन लूटने का प्रयास, वीर शहीदों के वंशजों का अपमान, उन पर लाठी चार्ज, और जन- आंदोलनों को दमनपूर्वक कुचलना… यही झारखंड की इस तथाकथित अबुआ सरकार का सच है।

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