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“ट्रम्प का ‘महान’ कूटनीति ज्ञान: यूक्रेन को धमकाओ, फिर शांति का ढोंग रचाओ!” यूरोप ने दिया करारा जवाब, ट्रम्प का ‘बॉस’ बनने का सपना चूर  

By Tamishree Mukherjee

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"ट्रम्प का 'महान' कूटनीति ज्ञान

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सोशल संवाद / डेस्क (सिद्धार्थ प्रकाश ) : डोनाल्ड ट्रम्प को जब भी लगता है कि उनकी ‘महान नेता’ वाली छवि को चमकाने की जरूरत है, वे यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेन्स्की पर अपनी धौंसपट्टी आज़माने निकल पड़ते हैं। व्हाइट हाउस में हुए हालिया यूएस-यूक्रेन बैठक में एक बार फिर ट्रम्प ने अपनी वही पुरानी नौटंकी दोहराई, जिसे दुनिया पहले भी देख चुकी है। लेकिन इस बार मामला और भी शर्मनाक रहा – बैठक के दौरान ज़ेलेन्स्की से तीखी बहस हुई और यूक्रेनी प्रतिनिधिमंडल को बीच बैठक से निकाल दिया गया, वो भी बिना लंच किए!

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यूक्रेन को ‘कृपा’ दिखाने का ट्रम्पीय तरीका

बैठक की शुरुआत तो बड़े ही प्रेमपूर्ण अंदाज में हुई, जहां ट्रम्प और ज़ेलेन्स्की ने एक-दूसरे से हाथ मिलाया, लेकिन कुछ ही मिनटों में यह मुलाक़ात कड़वी बहस में बदल गई। अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने ज़ेलेन्स्की को कूटनीति अपनाने की नसीहत दी, जिस पर यूक्रेनी राष्ट्रपति ने करारा जवाब देते हुए कहा कि “कूटनीति हमने पहले भी अपनाई थी, लेकिन इसका नतीजा यह निकला कि रूस ने और भी ज्यादा इलाका कब्ज़ा कर लिया और हमारे लोगों को मार डाला। अब हमें शांति के नाम पर आत्मसमर्पण नहीं करना।”

बस फिर क्या था! ट्रम्प तिलमिला उठे। अपनी बुली पॉलिटिक्स के मुताबिक़, उन्होंने ज़ेलेन्स्की को नसीहत देने की कोशिश की कि वे अमेरिका के आगे ‘आभार’ जताएं। और जब ज़ेलेन्स्की ने अमेरिका की नीति पर सवाल उठाए, तो ट्रम्प ने उन्हें ‘अकृतज्ञ’ घोषित कर दिया। नतीजा? बैठक खत्म कर दी गई और यूक्रेनी टीम को दरवाजा दिखा दिया गया।

पहली बार नहीं है यह अपमानजनक व्यवहार

ट्रम्प की यूक्रेन नीति हमेशा ही ‘ब्लैकमेल डिप्लोमेसी’ पर टिकी रही है। यह पहली बार नहीं था जब उन्होंने ज़ेलेन्स्की को नीचा दिखाने की कोशिश की। याद कीजिए 2019 का वो कुख्यात फोन कॉल, जिसमें ट्रम्प ने यूक्रेन को दी जाने वाली सैन्य मदद को जो बाइडेन के बेटे हंटर बाइडेन की जांच से जोड़ने की कोशिश की थी। इस ‘कूटनीतिक जबरदस्ती’ के कारण ट्रम्प पर महाभियोग तक चला, लेकिन वे फिर भी अपनी हरकतों से बाज़ नहीं आए।

यूरोप ने दिया करारा जवाब, ट्रम्प का ‘बॉस’ बनने का सपना चूर

जहां ट्रम्प यूक्रेन को धमका रहे थे, वहीं यूरोप ने अपनी स्पष्टता दिखाते हुए यूक्रेन को समर्थन देना जारी रखा। हाल ही में हुए यूरोपीय संघ के शिखर सम्मेलन में, ब्रिटेन की अगुवाई में कई यूरोपीय देशों ने ज़ेलेन्स्की को अपना समर्थन दोहराया और रूस पर और कड़े प्रतिबंध लगाने की घोषणा की। EU के इस एकजुट रुख ने ट्रम्प के ‘शांति’ के नाम पर यूक्रेन को झुकाने की कोशिशों को पूरी तरह नाकाम कर दिया।

ट्रम्प की ‘शांति’ की परिभाषा: यूक्रेन सरेंडर करे, फिर हम दोस्ती निभाएं!

ट्रम्प के सोशल मीडिया पोस्ट ने उनकी मंशा को और भी साफ कर दिया। उन्होंने ज़ेलेन्स्की पर ‘अमेरिका का सम्मान न करने’ का आरोप लगाते हुए कहा कि जब यूक्रेनी राष्ट्रपति ‘शांति के लिए तैयार’ होंगे, तभी वे वापस आ सकते हैं।

अब असल सवाल यह उठता है – ट्रम्प की शांति की परिभाषा क्या है? क्या यह वही है जो उन्होंने अफगानिस्तान में अपनाई थी, जहां उन्होंने तालिबान से संधि करके अमेरिका को कूटनीतिक शर्मिंदगी में डाल दिया? क्या यह वही है जो वे उत्तर कोरिया में किम जोंग उन के साथ ‘फोटोशूट डिप्लोमेसी’ करके कर चुके हैं?

ट्रम्प का बुलीपना अब नहीं चलेगा!

साफ है कि ट्रम्प अमेरिका के बजाय खुद को ‘मसीहा’ साबित करने में ज्यादा दिलचस्पी रखते हैं। लेकिन इस बार उनका पैंतरा फेल हो गया। यूरोप की दृढ़ता और ज़ेलेन्स्की के आत्मसम्मान ने यह दिखा दिया कि दुनिया अब ट्रम्प के मूड स्विंग्स के हिसाब से नहीं चलेगी।

तो, ट्रम्प जी, अगली बार जब आप ‘शांति वार्ता’ के नाम पर किसी को धमकाने बैठें, तो याद रखिए कि अब दुनिया आपके शोमैनशिप के झांसे में नहीं आने वाली!

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