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टीवी एक्टर सुधांशु पांडे ने डिप्रेशन और पैनिक अटैक पर तोड़ी चुप्पी, बोले- “मेरी ज़िंदगी खतरे में थी”

By Muskan Thakur

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टीवी एक्टर सुधांशु पांडे ने डिप्रेशन और पैनिक अटैक

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सोशल संवाद/डेस्क : टीवी की दुनिया में अपनी अलग पहचान बना चुके एक्टर सुधांशु पांडे ने हाल ही में अपने मानसिक स्वास्थ्य को लेकर चौंकाने वाला खुलासा किया है। ‘अनुपमा’ जैसे पॉपुलर शो में वनराज शाह का किरदार निभाकर घर-घर में मशहूर हुए सुधांशु ने बताया कि एक समय ऐसा भी आया जब वे डिप्रेशन और पैनिक अटैक से जूझ रहे थे। इस दौर ने उनकी ज़िंदगी को पूरी तरह बदल कर रख दिया था।

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सुधांशु ने कहा कि यह समय उनके लिए बेहद कठिन था, क्योंकि वे अंदर से टूट चुके थे। उन्होंने बताया कि, “मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं ऐसी स्थिति में पहुंच जाऊंगा। एक वक्त पर मुझे लगा कि मेरी लाइफ खतरे में है। नींद नहीं आती थी, सांस रुक-रुक कर चलती थी और दिल की धड़कनें इतनी तेज हो जाती थीं कि लगता था कुछ भी हो सकता है।”

एक्टर ने बताया कि पैनिक अटैक की शुरुआत बहुत सामान्य लक्षणों से हुई थी, लेकिन धीरे-धीरे स्थिति गंभीर होती चली गई। वे कहते हैं, “मुझे शुरू में समझ ही नहीं आया कि मेरे साथ हो क्या रहा है। बस बेचैनी रहती थी, डर लगता था और कुछ भी अच्छा नहीं लगता था। लेकिन जब डॉक्टर से सलाह ली तो पता चला कि यह पैनिक अटैक और डिप्रेशन का असर है।”

सुधांशु पांडे ने बताया कि इस मुश्किल दौर से बाहर निकलने में परिवार और दोस्तों का बहुत बड़ा हाथ रहा। उनके अनुसार, “अगर परिवार साथ न होता तो शायद मैं कभी इससे बाहर नहीं आ पाता। मेरे करीबी लोगों ने मुझे संभाला, मेरे डर को समझा और मुझे सकारात्मक सोच की ओर वापस ले गए।”

उन्होंने कहा कि मनोरंजन की दुनिया जितनी ग्लैमरस दिखती है, उतनी ही मेंटल प्रेशर से भरी होती है। शूटिंग का शेड्यूल, सोशल मीडिया की निगरानी, और हर वक्त परफेक्ट दिखने का दबाव – ये सब मिलकर कलाकारों को अंदर से तोड़ देता है। सुधांशु ने यह भी कहा कि वे इस अनुभव को छिपाने के बजाय अब खुलकर बात कर रहे हैं ताकि दूसरे लोग भी मदद लेने से ना डरें।

उनका कहना है, “अगर आपको लगता है कि आप मानसिक रूप से परेशान हैं, तो चुप न रहें। किसी अपने से बात करें या प्रोफेशनल मदद लें। डिप्रेशन कोई शर्म की बात नहीं है। यह भी एक बीमारी है, और इसका इलाज संभव है।”

सुधांशु ने आगे बताया कि उन्होंने धीरे-धीरे योग, मेडिटेशन और हेल्दी रूटीन अपनाया, जिसने उन्हें काफी मदद की। आज वे खुद को पहले से ज्यादा शांत और आत्मविश्वासी महसूस करते हैं। “अब मैं हर दिन को शुक्रिया कहता हूं। जब आप जिंदगी को खोने के डर से गुजरते हैं, तो जीने की अहमियत और बढ़ जाती है,” उन्होंने कहा।

टीवी इंडस्ट्री में सुधार की बात करते हुए उन्होंने कहा कि अब वक्त आ गया है जब मेकर्स और चैनल्स को भी अपने कलाकारों की मेंटल हेल्थ को गंभीरता से लेना चाहिए। लंबे शेड्यूल, ओवरवर्क और तनाव कलाकारों की सेहत पर गहरा असर डालते हैं।

सुधांशु पांडे के इस खुलासे के बाद उनके फैंस और इंडस्ट्री के कई लोग सोशल मीडिया पर उनकी तारीफ कर रहे हैं कि उन्होंने इतनी हिम्मत दिखाई और एक अहम मुद्दे पर खुलकर बात की।

आज जब मानसिक स्वास्थ्य को लेकर समाज में जागरूकता बढ़ रही है, ऐसे में सुधांशु का यह कदम एक मिसाल बन सकता है। उन्होंने यह साबित किया कि कोई भी इंसान मुश्किलों से लड़ सकता है, बस ज़रूरत है बात करने, समझने और खुद को दोबारा उठाने की।

सुधांशु ने अंत में कहा, “अब मैं चाहता हूं कि हर वो इंसान जो डरा हुआ है, उसे पता चले कि रोशनी हमेशा अंधेरे के बाद आती है। ज़िंदगी एक बार मिलती है, इसे जीने की कोशिश कभी मत छोड़ो।”

इस बयान के बाद फैंस ने एक सुर में कहा—“वनराज शाह तो बहुत लोगों का दिल तोड़ चुका था, लेकिन असल ज़िंदगी में सुधांशु ने सबका दिल जीत लिया।”

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