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भारत-पाकिस्तान संघर्ष पर अमेरिकी रिपोर्ट का दावा: पाकिस्तान को भारी नुकसान

By Muskan Thakur

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सोशल संवाद/डेस्क : भारत और पाकिस्तान के बीच मई में हुए छोटे लेकिन बेहद तीखे सैन्य टकराव को लेकर अमेरिकी कांग्रेस की एक नई रिपोर्ट ने एक बार फिर दोनों देशों के दावों पर बहस छेड़ दी है। यह रिपोर्ट जहां पाकिस्तान के कुछ बयानों को सहानुभूतिपूर्ण स्वर में प्रस्तुत करती दिखती है, वहीं वह उसके कई दावों पर सवाल उठाते हुए भारत की वायुसेना के पक्ष को भी मजबूत करती है। साथ ही इसमें चीन की उस बड़ी दुष्प्रचार मुहिम का भी उल्लेख है, जिसके जरिए उसने भारत के राफेल बेड़े को निशाना बनाने की कोशिश की।

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पाकिस्तान के दावे और अमेरिकी रिपोर्ट में अंतर

संघर्ष के बाद पाकिस्तान ने जोर देकर कहा था कि उसकी वायुसेना ने छह भारतीय लड़ाकू विमानों को मार गिराया है। इस दावे ने पाकिस्तान में राजनीतिक और सैन्य स्तर पर बड़ी चर्चा पैदा की थी।
लेकिन अमेरिकी कांग्रेस की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत ने कुल तीन विमान खोए, और रिपोर्ट का यह भी संकेत है कि उनमें से सभी राफेल नहीं थे।

यह आंकड़ा पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस दावे से भी अलग है, जिसमें उन्होंने कहा था कि दोनों देशों ने मिलाकर कुल आठ विमान गंवाए। रिपोर्ट के अनुसार अगर भारत ने तीन विमानों का नुकसान उठाया, तो अनुमान है कि पाकिस्तान को कम से कम पांच लड़ाकू विमानों का नुकसान हुआ होगा, जो उसके आधिकारिक दावों के बिल्कुल विपरीत है।

भारत की वायुसेना के दावे हुए और मजबूत

भारतीय वायुसेना के प्रमुख एयर चीफ मार्शल अमरप्रीत सिंह पहले ही साफ कर चुके हैं कि संघर्ष में पाकिस्तान को भारी नुकसान हुआ था। उनके अनुसार, पाकिस्तान ने 12 से 13 सैन्य विमान खोए थे, जिनमें F-16 और JF-17 जैसे आधुनिक लड़ाकू विमान भी शामिल थे।

उन्होंने बताया था कि भारत की ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान पाकिस्तान के कई महत्वपूर्ण हवाई ठिकानों को निशाना बनाया गया और:

  • एक C-130 श्रेणी का विमान,
  • एक AEW&C निगरानी विमान,
  • और चार से पांच लड़ाकू विमान (ज्यादातर F-16)
    हैंगर और रनवे पर खड़े-खड़े नष्ट हुए।

एयर चीफ मार्शल के अनुसार, भारत ने संघर्ष के दौरान 300 किलोमीटर से अधिक दूरी पर मौजूद एक पाकिस्तानी AEW&C या सिग्नल-इंटेलिजेंस विमान पर लंबी दूरी की सटीक मार की। यह भारतीय वायुसेना के लिए बड़ी तकनीकी उपलब्धि मानी जा रही है।

इसके अलावा उन्होंने बताया कि हवा में हुई सीधी टकराहटों में भारतीय पायलटों ने लगभग पांच आधुनिक पाकिस्तानी विमानों (F-16 और JF-17) को निशाना बनाकर मार गिराया।

पहली बार भारत की ओर से इस बात की आधिकारिक पुष्टि की गई कि हवा में हुई मुठभेड़ में पाकिस्तान के F-16 लड़ाकू विमान सक्रिय तौर पर शामिल थे और उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ा।

चीन का हस्तक्षेप और दुष्प्रचार अभियान

अमेरिकी रिपोर्ट में चीन की भूमिका को बेहद महत्वपूर्ण और चिंताजनक बताया गया है। इसमें दावा किया गया है कि चीन ने न केवल पाकिस्तान को सैन्य सहायता उपलब्ध कराई बल्कि भारत के राफेल विमानों पर दुनिया भर में भ्रम फैलाने के लिए एक बड़े दुष्प्रचार अभियान को भी संचालित किया।

रिपोर्ट के अनुसार:

  • चीन ने संघर्ष के दौरान ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर राफेल को “कमज़ोर”, “अप्रभावी” और “ओवरहाइप्ड” दिखाने की कोशिश की,
  • जबकि दूसरी तरफ उसने अपने हथियारों जैसे कि PL-15 मिसाइल, J-10C और HQ-9 मिसाइल सिस्टम को “कॉम्बैट-टेस्टेड” बताकर प्रचारित किया।

अमेरिकी विश्लेषकों ने कहा है कि चीन ने इस संघर्ष को एक वास्तविक युद्ध प्रयोगशाला की तरह इस्तेमाल किया, जहां उसने अपने हथियारों की प्रदर्शन क्षमता का डेटा इकट्ठा किया और बाद में उसे इस्तेमाल कर वैश्विक हथियार बाजार में अपनी पैठ बढ़ाने की कोशिश की।

चार दिन के संघर्ष में चीन के हथियारों का पाकिस्तानी इस्तेमाल

रिपोर्ट के अनुसार, 7 से 10 मई तक चले इस संघर्ष में पाकिस्तान ने चीन से मिली कई सैन्य तकनीकों का जमकर उपयोग किया:

  • JF-17 और J-10C लड़ाकू विमान,
  • PL-15 लंबी दूरी की मिसाइलें,
  • HQ-9 और HQ-16 एयर डिफेंस सिस्टम,
  • ड्रोन और निगरानी उपग्रह,
  • और BeiDou नेविगेशन सिस्टम

ये सभी आधुनिक चीनी सैन्य उपकरण इस संघर्ष में पाकिस्तान की रणनीति का मूल हिस्सा थे।

रिपोर्ट से उठे नए सवाल

अमेरिकी रिपोर्ट ने संघर्ष के वास्तविक परिणामों को लेकर नई बहस छेड़ दी है। पाकिस्तान के दावों की तुलना में भारत के आकलन और अमेरिकी रिपोर्ट के निष्कर्ष कहीं अधिक मेल खाते दिख रहे हैं।
वहीं चीन द्वारा राफेल के खिलाफ चलाए गए दुष्प्रचार अभियान ने यह भी संकेत दिया है कि भारत की आधुनिक वायु शक्ति को कमज़ोर दिखाना उसके रणनीतिक हितों का हिस्सा हो सकता है।

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