सोशल संवाद/ डेस्क: सुहाग की लंबी उम्र के लिए सुहागन महिलाएं कई व्रत रखती है जिसमें वट सावित्री व्रत भी अहम माना जाता है। इस बार वट सावित्री का निर्जला उपवास 26 मई को रखा जाएगा। व्रत विशेष रूप से विवाहित महिलाएं अपने पति की दीर्घायु और अखंड सौभाग्य की कामना के लिए पूरे श्रद्धा और विधिपूर्वक करती हैं।
इस दिन की पूजा भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित होती है। मान्यता है कि जो महिलाएं विधिवत रूप से यह व्रत करती हैं, उन्हें अमर सुहाग का वरदान प्राप्त होता है। यदि आप पहली बार वट सावित्री व्रत रखने जा रही हैं, तो आपको कुछ नियमों का खास ख्याल रखना होगा।
इस साल पहली बार वट सावित्री व्रत रखने जा रही हैं, तो कुछ जरूरी नियमों का पालन करना बेहद जरूरी होता है, जिससे व्रत का पूरा फल मिल सके। व्रत के दिन प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ लाल या पीले वस्त्र धारण करें और सोलह सिंगर कर व्रत का संकल्प लें। फिर वट यानी बरगद के वृक्ष की पूजा करें, उसकी जड़ों में जल अर्पित करें और कच्चा सूत या कलावा लपेटें। इसके पश्चात वट वृक्ष की सात परिक्रमा करें। सावित्री व्रत की कथा का श्रवण या पाठ करें और आरती करें।
इसके अगले दिन ग्यारह भीगे हुए चने खाकर व्रत का पारण करें। इस व्रत को निर्जल रहकर करना श्रेष्ठ माना गया है। इस दिन एक टोकरी में फल, अन्न, वस्त्र आदि रखकर किसी जरूरतमंद या ब्राह्मण को दान करना शुभ होता है।वट वृक्ष की परिक्रमा हमेशा घड़ी की दिशा (दक्षिणावर्त) में ही करनी चाहिए।
परिक्रमा करते समय सात बार धागा या कलावा पेड़ के चारों ओर लपेटा जाता है। यह व्रत विशेष रूप से विवाहित महिलाएं अपने पति की दीर्घायु और अखंड सौभाग्य की कामना के लिए पूरे श्रद्धा और विधिपूर्वक करती हैं।इस दिन की पूजा भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित होती है। मान्यता है कि जो महिलाएं विधिवत रूप से यह व्रत करती हैं, उन्हें अमर सुहाग का वरदान प्राप्त होता है।